mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download 2021

mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download 2021 | ( एमपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रश्न बैंक का संपूर्ण हल पीडीएफ डाउनलोड ) 

mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download 2021
mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download 2021

Mp board class 12 hindi prashn Bank solution

प्यारे छात्रों प्यारे छात्रों आज के इस पोस्ट में आपको कक्षा 12 एमपी बोर्ड के लिए हिंदी प्रश्न बैंक का संपूर्ण सॉल्यूशन प्रोवाइड कराया जाएगा|

             हिंदी पद्य प्रश्न बैंक का संपूर्ण हल

Mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download ( mp and class 12 prashn Bank solution pdf download )

Join
mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download 2021 ( एमपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रश्न बैंक का संपूर्ण हल पीडीएफ डाउनलोड )

 

mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download 2021 ( एमपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रश्न बैंक का संपूर्ण हल पीडीएफ डाउनलोड )

 

mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download 2021 ( एमपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रश्न बैंक का संपूर्ण हल पीडीएफ डाउनलोड )

 

                1-1 अंक के सभी प्रश्न

mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download 2021 ( एमपी बोर्ड प्रश्न बैंक solution pdf download )
प्र. 5 एक शब्द/ वाक्य में उत्तर लिखिए

 1. इस देह पर गर्व क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर-क्योंकि यह शरीर मृत्यु के बाद मिट्टी में मिल जाता है।

2. गजमुख का मुख कौन देखता है?
उत्तर-गजमुख का मुख दसमुख (रावण) देखता है।

3. सूरदास के ईष्ट देव कौन हैं?
उत्तर-सूरदास के श्री कृष्ण है।

4.घनानंद के अनुसार स्नेह का मार्ग कैसा है?
उत्तर-घनानंद के अनुसार स्नेह का मार्ग बहुत सरल है।” अति सूधो सनेह को मारग”

5. आदर देखकर कौवे को कब बुलाते हैं?
उत्तर-श्रादध के समय।

6.विश्व किसके सामने झुकता है ?

उत्तर- वीर की शक्ति के सामने।

7.भारत माता की जय बोल दो’ कविता में किसका वर्णन किया गया है?

उत्तर- भारत की सांस्कृतिक चेतना तथा प्राकृतिक सुषमा का वर्णन किया है।

8.विश्वास में विष घोलने का काम किसने किया है ?

 उत्तर-विश्वास में विष घोलने का काम ‘सुजान’ ने किया है।

9.बिहारी किस काल के कवि थे ?

उत्तर- बिहारी रीतिकाल के कवि थे।

10. मैथिलीशरण गुप्त ने किस भाषा में काव्य रचना की?

उत्तर- मैथिलीशरण गुप्त ने खड़ी भाषा में काव्य रचना की।

11.किस कवि की उलटबांसियां (विपर्यय) प्रसिद्ध है?

 उत्तर- कबीर दास की।
12. गद्य और पदय का मिश्रित स्वरूप किस काव्य में मिलता है? उत्तर- चंपू काव्य में।

                   2-2 अंक के सभी प्रश्न

mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download 2021 ( mp board class 12 prashn Bank solution pdf download )

1.रामचंद्रिका के रचयिता कौन हैं?
उत्तर- रामचंद्रिका (रचनाकाल सन् 1601 ई०) हिन्दी साहित्य के रीतिकाल के आरंभ के सुप्रसिद्ध कवि केशवदास रचित महाकाव्य है। इस महाकाव्य में कुल 1717 छर्द हैं।

2.गजमुख का मुख कौन देखता है?

 उत्तर -गजमुख का मुख दसमुख (रावण) देखता है।

3.मां सरस्वती की वंदना कौन कौन करता है?
उत्तूर -माँ सरस्वती की वन्दना देवगण, ऋषिगण श्रेष्ठ तपस्वी, भूत, भविष्य और वर्तमान को जानने वाले,उनके पति ब्रह्मा जी,शकर जी और कार्तिकेय करते हैं।

4. सूरदास जी किस भाषा के कवि हैं?
उत्तर- सूरदास जी ब्रज भाषा के कवि हैं।

5. ‘मो सो कहत मोल को लीनो’ यह कथन किसका है?
उत्तर- यह कथन बलदाऊ की शिकायत करते हुए कृष्ण यशोदा माता से कहते हैं कि बलदाऊ उन्हें मोल का खरीदा हुआ बताते हैं।
6. विश्वास में विष घोलने का काम किसने किया ?

 उत्तर- विश्वास में विष घोलने का काम ‘सुजान’ ने किया है। पहले तो उसने दर्शन देने की आशा दिलाकर विश्वास दिया फिर मना करके उस विश्वास को तोड़ दिया।

7-मथुरा से योग सिखाने कौन गए थे?
उत्तर- मथुरा से गोपियों को योग सिखाने श्रीकृष्ण के मित्र उद्धवजी ब्रज क्षेत्र में गये थे।

8. नंद के आंगन में गोपियों क्यों एकत्रित हुई?
उत्तर- गोपियों ने यह सुना कि मथुरा से कोई कृष्ण का संदेश लेकर आया है, तो प्रेम में मदमाती सभी गोपियाँ यह जानने के लिए नन्द के आँगन में एकत्रित हुईं कि उनके लिए क्या लिखा है।

9. कुटीर कौन सी नदी के किनारे बनाने की बात कही गई है? उत्तर- कृष्ण के सखा उद्धव अपना कुटीर यमुना नदी के किनारे बनाने की बात कहते हैं।

10-कबीर ने किसकी संगति करने के लिए कहा है ?
उत्तर-कबीर ने साधु पुरुष की संगति करने को कहा है। सत्पुरुषों की संगति करने से सन्मार्ग पर चलने लगते हैं जिससे लोक- परलोक सुधरते हैं।

11.नाव में पानी भर जाने पर सयानो का क्या कर्तव्य है?
 उत्तर-नाव में पानी भर जाने पर सयानों का काम यह है कि उस पानी को बाहर निकालें और अपनी नाव को डूबने से बचाएँ।
12. कबीर के अनुसार शरीर रूपी घड़े की विशेषताएं बताइए।
उत्तर-कबीर के अनुसार मानव शरीर मिट्टी के कच्चे घड़े के समान है.जो पनी पड़ने से टूट जाएगा और हाथे में कुछ भी नहीं बचेगा।

13. बुरे आदमी द्वारा बुराई त्याग देने का खरे व्यक्तियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- बुरे व्यक्ति द्वारा बुराई त्याग देने पर भी खरे व्यक्तियों को उस पर उत्पात करने की शंका बनी रहती है।

14. बिजली की चमक देखकर कवि सखी को क्या सलाह देता है?
उत्तर- कवि भवानी प्रसाद मिश्र कहते हैं कि बिजली की चमक देखकर एक सखि दूसरी सखी से कहती है कि हे सखि ! भाग बिजली चमक रही है अर्थात् वर्षा होने वाली है। बसंत के आने से प्रथ्वी में प्यार के अंकुर फूटने लगे है। पंछी भी प्रसन्नता के साथ उड़ रहती है व दादुर भी वर्षा आने के कारण उछलने-कूदनी लगा है।

15. “अरी सुहागिन” संबोधन किसके लिए आया है?
उत्तर-अरी सुहागिन’ सम्बोधन वैसे तो विवाहित स्त्री के लिए किया गया है, लेकिन प्रकृति की ओर भी संकेत है।

16. सहज रंगीली नायिका किस के रंग में रंगी हुई है?

 उत्तर-सहज रंगीली नायिका इन्द्रधनुषी रंगों से रंगी हुई है।

17:नींव के पत्थर’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर-“नींव के पत्थर” से कवि का तात्पर्य उन वीर पुरुषों से है। जिन्होंने देश की स्वाधीनता के लिए अपने प्राणों को बलिदान किया है।

18.किस धरोहर को हाथ से न जाने देने की बात कही गई है? उत्तर-देश की स्वाधीनता रूपी धरोहर को हाथ से न जाने देने की बातकही गई है।

19.देश की समृद्ध की प्रबल आशा’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर-“देश की समृद्धि की प्रबल आशा” से तात्पर्य है भारत की उत्तरोत्तर बढ़ती हुई प्रगति की प्रबल अभिलाषा जो इस देश के नौजवानों से अपैक्षित है।

20.केवट के के अनुसार पगधूरी का क्या प्रभाव है ?
उत्तर-केवट के अनुसार श्रीराम की पगधूरि का प्रभाव यह है कि उसके स्पर्श से शिला भी स्त्री बन जाती है।

21.केवट की जीविका का एकमात्र आधार क्या था?

उत्तर:केवट की जीविका का एकमात्र आधार उसकी नाव थी। उस नाव में वह सवारियाँ बैठा कर गंगा पार कराता था।

22.सभी देश हमारे यहां किस प्रयोजन से आते रहे हैं?
उत्तर- सभी देशों के लोग भारत में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते रहे हैं।
23.कवि के अनुसार हमें अशिक्षित या असभ्य बताने वाले लोग कौन हैं?

उत्तर- कवि के अनुसार हमें अशिक्षित या असभ्य बताने वाले लोग वे हैं,जो हम लोगों की सभ्यता से अनजान हैं या वे पक्षपात की भावना से ग्रसित हैं।

24.जगती के मधुबन में पुराने साथी कौन कौन हैं?

उत्तर-जगती के मधुवन में पुराने साथी जीवन और पुष्प हैं।

25. फूल और मालिनी दोनों कब मुरझा जाएंगे?

उत्तर-संसार में समय के साथ सभी चीजें नष्ट होती हैं। फूल और मालिन दोनों मधुवर्षण करके कल (भविष्य में) मुरझा जायेंगे।

26. झुलसती धरा के लिए किस दान की आवश्यकता है?

उत्तर-झुलसती धरा के लिए कवि ने सावन दान की आवश्यकता को बताया है।

              4-4 अंक के सभी प्रश्न

mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download 2021 ( mp board hindi prashn Bank solution pdf download 2021 )
1. छायावाद की चार विशेषताएं लिखिए।

उत्तर- छायावाद की मुख्य विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ)
1. आत्माभिव्यक्ति
2. नारी-सौंदर्य और प्रेम-चित्रण
3. प्रकृति प्रेम
4. राष्ट्रीय / सांस्कृतिक जागरण
5. मानवीकरण अलंकार का प्रयोग

2. प्रगतिवाद की चार विशेषताएं लिखिए। प्रगतिवादी काव्य की विशेषताएं
उत्तर-
1. समाजवादी यथार्थवाद/ सामाजिक यथार्थ का चित्रण,
2. सामाजिक समानता पर बल
3. शोसकों के प्रति विद्रोह एवं शोषितों के प्रति सहानुभूति 4. भाग्यवाद की उपेक्षा कर्मवाद पर बल

3. प्रयोगवाद की दो प्रमुख विशेषताएं बदलातते हुए दो प्रमुख कवियों के नाम एवं उनकी एक एक रचना का नाम लिखिए ।

उत्तर -प्रयोगवाद की विशेषताएँ
1. अनुभूति व यथार्थ का संश्लेषण बौद्धिकता का आग्रह

2. वाद या विचार धारा का विरोध

कवि
1. सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायनअज्ञेय भग्नदूत, चिंता
2. भवानी प्रसाद मिश्र

रचनाएं
गीत फरोश,

4. नई कविता की कोई दो विशेषताएं बताते दो कवियों के नाम एवं उनकी दो दो रचनाओं के नाम लिखिए।

उत्तर-

1. लघु मानव वाद की प्रतिष्ठा मानव जीवन को महत्वपूर्ण मानकर उसे अर्थपूर्ण दृष्टि प्रदान की गई।
2. प्रयोगों मे नवीनता नए-नए भावों को नए-नए शिल्प विधानों मे प्रस्तुत किया गया है।
कवि
1. भवानी प्रसाद मिश्र
2.कुंवर नारायण
रचनाएं
सन्नाटा, गीत फरोश ,चक्रव्यूह, आमने-सामने
5.रहस्यवाद की चार विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-
1. अलौकिक सत्ता के प्रति प्रेम
इस युग की कविताओं मे अलौकिक सत्ता के प्रति जिज्ञासा, प्रेम व आकर्षण के भाव व्यक्त हुए हैं।
2. परमात्मा मे विरह-मिलेन का भाव
आत्मा को परमात्मा की विरहिणी मानते हुए उससे विरह व मिलन के भाव व्यक्त किए गए हैं।
3. जिज्ञासा की भावना
सृष्टि के समस्त क्रिया तथा अदृश्य ईश्वरीय सत्ता के प्रति जिज्ञासाके भाव प्रकट गए है।
4. प्रतीकों का प्रयोग

प्रतीकों के माध्यम मे भावाभिव्यक्ति की गई है।

6.भारतेंदु युगीन काव्य की चार विशेषताएं लिखिए।

उत्तर-1. राष्ट्रीयता की भावना

भारतेंद युग के कवियों ने देश-प्रेम की रचनाओं के माध्यम से जन-मानस में राष्ट्रीय भावना का बीजारोपण किया।

2. सामाजिक चेतना का विकास

भारतेंदु युग काव्य सामाजिक चेतना का काव्य है। इस युग के कुव्यों ने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों एवं सामाजिक रूढ़ियों को दूर करने हेतु कविताएँ लिखीं।

3. हास्य व्यंग्य

हास्य व्यंग्य शैली को माध्यम बनाकर पश्चिमी सभ्यता, विदेशी शासन तथा सामाजिक अंधविश्वासों पर करारे व्यंग प्रहार किए गए।

4. अंग्रेजी शिक्षा का विरोध

भारतेंदर यगीन कृवियों ने अंग्रेज़ी भाषा तथा अंग्रेज़ी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के प्रति अपना विरोध कविताओं में प्रकट किया है।

(04 अंक के प्रश्न)
प्र1. निम्नलिखित कवियों की काव्यगत विशेषताएं निम्न बिंदुओं के आधारपर लिखिए
(अ) दो रचनाएं
(ब)भाव पक्ष कला पक्ष

(स)साहित्य में स्थान

 1.सूरदास

2.मैथिलीशरण गुप्त

3.बिहारी

4.भवानी प्रसाद मिश्र

5.शिवमंगल सिंह सुमन

नोट-विदयार्थी ऊपर दिए गए कवियों की काव्यगत विशेषताएं दिए गए बिंदुओं के आधार पर पाठ्य पुस्तक से स्वयं तैयार करें।

प्र 2. निम्नलिखित पद्यांशो की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए।

1. बालक मृणालिनी ज्यों तोरि डारै सब काल,

कठिन कराल त्यों अकाल दीह दुख को।

बिपति हरत हठि पद्मनी के पात सम,

दूरि कै कलंक-अक भव सीस- ससि सम,

पंक ज्यों पताल पेलि पठवै कलुष को।

राखत है केशोदास दास के बपुष को।

सांकरै की सांकरनि सनमुख होत तोरै,

दसमुख मुख जोवै गजमुख-मुख को।।

सन्दर्भ

प्रस्तुत पद्यांश केशवदास द्वारा रचित ‘वन्दना’ के शीर्षक ‘गणेश वन्दना’ से उद्धृत है।

प्रसंग

यहाँ पर कवि केशवदास ने विघ्नहारी गणेश जी की वन्दना की

व्याख्या

कवि कहता है कि जैसे बालक कमल की डाल को किसी भी समय आसानी से तोड़ डालता है। उसी प्रकार गणेश असमय में आए विकराल दुख को भी दुर कर देते हैं। जैसे कमल के पत्ते पानी में फैली कीचड़े को नीचे भेज देते हैं और स्वयं स्वच्छ होकर ऊपर रहते हैं, उसी प्रकार गणेश हर विपत्ति को दूर कर देते हैं। जिस प्रकार चन्द्रमा को निष्कलंक कर शिवजी ने अपने शीश पर धारण किया उसी प्रकार गणेश जी अपने दास को कलंक रहित कर पवित्र कर देते हैं। गणेश जी बाधा से अपने दास को मुक्त कर देते हैं। रावण भी गणेश जी के मुख की तरफ देखकर अपनी बाधाओं को दूर करने की आशा रखता है।

विशेष

1. शांत रस का प्रयोग हुआ है।

2. अनुप्रास, उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग ।

3. गुण-माधुर्य।

2. मैया कबहिं बढ़ेगी चोटी।

किती बार मोहिं दूध पिअत भई, यह अजहूं है छोटी ।। तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं हवै है लांबी मोटी। काढ़त गुहत न्हाववत ओछत, नागिन सी भुइं लोटी।। काचो दूध पिआवत पचि-पचि देत न माखन रोटी। सूर श्माम चिरजीवौ दोऊ भैया, हरि हलधर की जोटी।।

सन्दर्भ-

प्रस्तुत पद ‘वात्सल्य और स्नेह’ से सूरदास द्वारा रचित ‘सूर के बालकृष्ण नामक शीर्षक से उद्धृत किया गया है।

प्रसंग-

प्रस्तुत पंक्तियों में बालकृष्ण अपनी माता यशोदा से यह शिकायत कर रहे हैं कि उनको कितने ही दिन दूध पीते हो गए, लेकिन उनकी चोटी बड़ी नहीं हुई है।

व्याख्या

बालकृष्ण यह जानने को उत्सुक हैं कि उनकी चोटी कब बढ़ेगी। उनकी माता उन्हें यह भरोसा दिलाकर देध पिलाती थीं कि दूध पीने से उनकी चोटी बढ़ जाएंगी। वह माता से पूछते हैं कि हे माता मझे कितनी ही बार (बहुत समय) दूध पीते हुए हो गई, लेकिन यह चोटी अभी तक छोटी है। तेरे कथनानुसार मेरी चोटी बलदाऊ की चोटी के समान लम्बी और मोटी हो जाएगी, काढ़े में, गुहते में,नुहाते समय और सुखाते समय नागिन के समान लोट जाया करेगीं। तू मुझे कच्चा दूध अधिक मात्रा में पिलाती है। तथा मकान और रोटी नहीं देती है। नाखून और रोटी बालकृष्ण को प्रिय हैं, लेकिन वे नहीं मिलते और चोटी बढ़ने की लालसा से उन्हें गाय का कच्चा दूध पीना पड़ता है। सूरदास कहते हैं कि माता बलाएँ लेने लगी और कहने लैगी कि हरि हलधर दोनों भाइयों की जोड़ी चिरंजीव हो।

काव्य सौन्दर्य :

1. बच्चों को बहाने से दूध पिलाने के तथ्य को उजागर किया गया है ।

2. ब्रजभाषा का सुन्दर प्रयोग हुआ है।

3. पुनरुक्तिप्रकाश,उपमा अलंकार का प्रयोग ।

3.

 मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो।मोसों कहत मोल को लीनो, तोहि जसुमति कब जायो।। कहा-कहौं यहि रिसके मारे, खेलन हौं नहीं जात। पुनि- पुनि कहत कौन है माता, को है तुमरो ।। गोरे नन्द जसोदा गोरी, तुम कत स्याम सरीर। चुटकी दै दै हंसत ग्वाल सब, सिखै देत बलवीर ।। तू मोही को मारण सीखी, दाऊ कबहू न खीझै। मोहन को मुख रिस समेत लखि जसुमति सुनि-सुनि रीझै । सुनहु कान्ह है बलभद्र चबाई जनमत ही को धूत। सूर श्याम मो गोधन की सौं,हौं माता तू पूत।।

सन्दर्भ-
प्रस्तुत पद ‘वात्सल्य और स्नेह से सूरदास द्वारा रचित ‘सूर के बालकृष्ण” नामक शीर्षक से उद्धृत किया गया है।
प्रसंग-
बलदाऊ और कृष्ण अन्य ग्वाल-बालों के साथ बाहर खेलने जाते हैं तो बलदाऊ भिन्न-भिन्न प्रकार से उन्हें चिढ़ाते हैं। यहाँ यही शिकायत कृष्ण माता यशोदा जी से कर रहे हैं।

व्याख्या-श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलभद्र की शिकायत करते हुए अपनी माता से कहते हैं कि हे माता बलभद्र भाई मुझे बहुत चिढ़ाते हैं। मुझसे कहते हैं कि तुझे यशोदा जी ने जन्म नहीं दिया है, तुझे तो किसी से मोल लिया है। मैं क्या बताऊँ इस गुस्से के कारण मैं खेलने भी नहीं जाता। मुझसे बार-बार पूछते हैं कि तेरे माता-पिता कौन हैं। तू नन्द-यशोदा का पुत्र तो हो नहीं सकता क्योंकि तू साँवले रंग का है जबकि नन्द और यशोदा दोनों गोरे हैं।ऐसी मान्यता है कि गोरे माता-पिता की सन्तान भी गोरी होती है। यह तर्क बलदाऊ ने इसलिए दिया ताकि कृष्ण इसको काट न सके। इस बात पर सभी ग्वाल-बाल ताली दे-देकर हँसते हैं।

सभी ग्वाल-बालों को बलदेव सिखा देते हैं और सभी हँसते हैं, तब मैं खीझ कर रह जाता हूँ। तो सिर्फ मुझे ही मारना सीखी है, दाऊ से कभी कुछ भी नहीं कहानी कृष्ण के गुस्से से भरे मुख को बार-बार देखकर उनकी रिस भरी बातें सुन-सुनेकर यशोदा जी अत्यन्त प्रसन्न होती हैं। मोद भरे मुख से यशोदा जी बोलीं, हे कृष्ण! ब्लदाऊ तो चुगलखोर है और जनम से ही धूर्त है। सूरदास जी कहते हैं, यशोदाजी कहने लगीं-मुझे गौधन (अपनी गायों ) की सौगन्ध है,मैं माता हूँ और तू मेरा पुत्र है। इस कथन ने कृष्ण के गुस्से को दूर कर दिया।

काव्य सौन्दर्य :
1. ब्रजभाषा में अनूठा माधुर्य दिया है।
2. माता और पुत्र के प्रश्नोत्तर तार्किक दृष्टि से उत्तम हैं।
3. अनुप्रास व पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार का प्रयोग है।

(4) कारी करि कोकिल ! कहाँ को बैर काढति री, कुकि केकि अबहीं करेजो किन कोरि लै। पैड़े परे पापी ये कलापी निसि-द्यौस ज्यों ही, चातक ! रे घातक है तू ही कान फोरि लै।

सन्दर्भ-
प्रस्तुत सवैया रीतिकालीन कवि घनानन्द द्वारा रचित ‘घनानन्द के पद’ नामक काव्य से लिया गया है। प्रसंग -प्रकृति के मनभावन प्रतीक भी विरह में दग्ध कवि को प्रियतम सुजान के वियोग में कष्ट दे रहे हैं।

व्याख्या-विरह जन्य पीड़ा से पीड़ित घनानन्द कवि आनन्द की प्रतीक कोयल से कहते हैं कि हे कोयल ! तेरी मधुर आवाज भी मुझे कष्ट दे रही है। हे कोयल ! तु कौन-सा बैर मुझसे निकाल रही है। कक-कुक कर मेरे कलेजे को ही क्यों न निकाल ले? ये पापी मोर मेरे पीछे पड़े हैं जो कि रात-दिन केउ,केउ कर मेरे कष्ट को और भी बढ़ा रहे हैं चातक जो कभी प्रिय लगता था आज वह अपनी आवाज से मेरे कान फोड़े दे रहा है।

काव्य सौन्दर्य –
1. प्रकृति के प्रतीकों का वैचित्र्य दिखाया गया है।
2. ब्रजभाषा का प्रभावशाली वर्णन है।
3. देशज शब्दों का प्रयोग रोचक लगता है।
4. अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश और श्लेष अलंकार हैं।

5. आए हौ सिखावन कौं जोग मथुरा तैं तोपै, ऊधौ ये बियोग के बचन बतरावौ ना। कहैं. रत्नाकर’ दया करि दरस दीन्यौ, दुःख दरिबै कौं, तोपै अधिक बढ़ावौ ना।।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यांश कवि जगन्नाथदास रत्नाकर द्वारा रचित ‘उद्धव प्रसंग’ से अवतरित है।

प्रसंग- यहाँ पर गोपियाँ उद्धव के कथन ‘ योग’ का श्लेष अर्थ करते हुए अनेक उलाहने उद्धव को देती हैं।

व्याख्या-गोपियाँ कहती हैं कि हे उद्धव ! जब आप मथुरा से योग, (मिलन) का उपदेश देने के लिए यहाँ पधारे हो तो हमूसै वियोग की कठोर बातें क्यों करते हो? कविवर रत्नाकर कहते हैं कि गोपियों ने पुनः उद्धव से प्रार्थना की कि हे उद्धव ! हमारे कष्ट को दूर करने के लिए यहाँ आकर हमें दर्शन देकर आपने बड़ी कुपा की,तों फिर ये वियोग (बिछड़ने) की बातें सुनाकर हमारे दुःख कों और मत बढ़ाओ। काव्य सौंदर्य –

1. इस कविता में मानव,मनोविज्ञान का सुन्दर चित्रण हुआ है। गोपियों ने ‘योग’ का अर्थ मिलन लिया जो उनकी बुद्धि में सहज समा गया।
2. मुहावरों का सुन्दर व सार्थक प्रयोग।
3. व्याकरण सम्मत ब्रजभाषा एवं व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग। 4. वियोग श्रृंगार का वर्णन। श्लेष (जोग) और रूपक अलंकारों का प्रयोग।

6. कबिरा संगति साधु की, जो करि जाने कोय। सकूल बिरछ चन्दू भये, बास न चन्दनू होय॥ कबीर कुसंग न कीजिए, ‘पाथर जल न तिरोय।
कदली सीप भुजंग मुख, एक बूंद तिर भाय ।। संदर्भ -पर है। उद्धृत साँखी कविवर कबीरदास की ‘अमृतवाणी’ नामक साखियों से प्रसूंग-इन साखियों में कबीर ने सत्संग की महिमा और कुसंग की बुराई का वर्णन उदाहरण देकर किया है।

व्याख्या- सन्त कबीर कहते हैं जो व्यक्ति सत्संगति के महत्व को समझता है वही उसका लाभ उठा पाती है। जैसें वन में चन्दन की सुगन्ध प्राप्त कर आस-पास के वृक्ष सुगन्धित होकर चन्दन की सदृश्यता को प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन बॉस अपने स्वभाव के कारण उसकी सुगन्ध ग्रहण नहीं कूर पाता और सूखा बॉस् ही रहता है। इसी प्रकार, साधै के गुणों को वे ही लोग ग्रहण करेगे जो उसके पास रहते हो और प्रेम करते हों और जो साध से दवेष करते हैं, वे साधु के गुणों को ग्रहण करने के अधिकारी भी नहीं बन पुति। कबीर अपनी दूसरी सौखी में कहेते हैं कि मनुष्य को संसार में कुसंग से बचना चाहिए।

कुसंग उस पत्थर के समान है जो स्वयं तो पानी (संसार) में डूबता ही और बैठने वाले को भी डुबो देता है अर्थात् नष्ट कर देता है। संसार में जैसा संग करोगे वैसा ही फल मिलेगा। सुन्दर प्रतीकों को माध्यम से कितनी मधुर व सरल भाषा में कबीर समझाते हैं कि स्वाति नक्षत्र की बूंद तो एक है लेकिन वह केले के ऊपर गिरती है तो कपूर बन जाती है,सीपी के मुँह में गिरती है तो मोती बन जाती है और वेही बूंद यदि सर्प के मुंह में गिरती है तो विष बन जाती है। अर्थात् सम्पर्क के गुण के साथ समाहित होकर तीन प्रकार का फल प्राप्त करती है।

काव्य सौन्दर्य
1. सत्संग के लाभ और कुसंग की हानि बड़े सरल,सुन्दर ढंग से दृष्टान्त के माध्यम से समझाई हैं।
2. भाषा-सधुक्कड़ी परन्तु सरल।
3. रस-शान्त।
4. छन्द-दोहा।
5. अलंकार-अनुप्रास, दृष्टान्त।

7. समै-समै सुन्दर सबै, रूप कुरूप न कोय। मन की रुचि जेती जितै, तिन तेती रुचि होय॥

संदर्भ -प्रस्तुत दोहा कविवर बिहारी द्वारा रचित दोहों से उद्धृत है।

प्रसंग- इस दोहे में कवि ने सुन्दरता का मुख्य स्रोत मन को बताया है।

व्याख्या -कवि बिहारी कहते हैं कि समय-समय पर सभी सुन्दर होते हैं। सुन्दर-असुन्दर जैसा कुछ भी नहीं होता। हमारा मन जिसको भी पसंद कर लेता है उसमें उतनी ही रुचि हो जाती है अर्थात् वह वस्तु या स्त्री पुरुष उतना ही सुन्दर दिखता है।

काव्य सौन्दर्य :
1. सशक्त ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है।
2. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग सुन्दर है

8. बड़े न हुजे गुननि बिन, बिरद बड़ाई पाय। कहत धतूरे सो कनक, गहनो गढ़ौ न जाय ॥

संदर्भ-प्रस्तुत दोहा कविवर बिहारी द्वारा रचित दोहों से उद्धृत है। प्रसंग – यहाँ कवि बिहारी ने बताया है कि बिना गुणों के कोई बड़ा नहीं हो सकता।

व्याख्या – कवि कहता है कि बिना गुणों के सिर्फ नाम का यश प्राप्त करके कोई बड़ा नहीं बन जाता है जैसे धतूरे को कनक (सोना) भी कहते हैं, लेकिन उससे गहना नहीं गढ़ जा सकता। संसार में यह प्रसिद्ध कहावत है कि बिना गुणों के कोई महान् नहीं बन सकता।
काव्य सौन्दर्य :

1. प्रसिद्ध उक्ति को दर्शाया गया है।
2. दोहा छन्द है।
3. अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय

9. बढ़त बढ़त संपति-सलिलु, मन सरोज बढ़ि जाइ। घटत-घटत सुन फिर घंटे, बरु समूल कृम्हिलाई ।।

संदर्भ-प्रस्तुत दोहा कविवर बिहारी द्वारा रचित दोहों से उद्धृत है।
प्रसंग – यहाँ बिहारी ने सम्पत्ति के साथ मन के बढ़ने का तथ्य प्रकाशित किया है।

व्याख्या- कवि कहता है कि सम्पत्ति रूपी जल के बढ़ते जाने पर मन रूपी कमल भी साथ-साथ बढ़ता जाता है, लेकिन सम्पत्ति रूपी जल के घटने पर मुन रूपी कमल घटता नहीं है चाहे जड़ समेत मुरझा जाय। अर्थात् धन के बढ़ने पर मनुष्य का मन हर बात में ऊँचा हो जाता है, लेकिन धन की कमी आने पर मन के अहंकार या बड़प्पन में कमी नहीं आती चाहे वह नष्ट होने को मजबूर क्यों नहीं हो जाय।

काव्य सौन्दर्य :
1. ब्रजभाषा में सुन्दर उक्ति का प्रकाश।

2. पुनरुक्तिप्रकाश व रूपक अलंकार की छटा।
 10. छोड़ देंगी मार्ग तेरा विघ्न बाधाएँ सहम कर,
काल अभिनन्दन करेगा आज तेरा समय सादर।
 मगन गायेगा गरज कर गर्व से तेरी कहानी,
वक्ष पर पदचिह्न लेगी धन्य हो धरती पुरानी॥
कर रहा तू गौरवोज्ज्वल त्यागमय इतिहाँस निर्मित।
विजय है तेरी सुनिश्चित।।

संदर्भ -प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘बढ़ सिपाही’ नामक कविता से उद्धृत की हैं और इसके रचयिता विष्णुकान्त शास्त्री हैं।

प्रसंग- इन पंक्तियों में कवि कहता है कि तू विघ्न-बाधाओं को सहन करता हुआ चल, समय तेरा स्वागत करेगा।

व्याख्या – कवि नवयुवक का आह्वान करते हुए कहता है कि तू मार्ग की बाधाओं को सहन कर लेगा तो वे तेरा मार्ग छोड़ देंगी और समय तेरे साहस को देखकर तेरा स्वागत करेगा। तेरी सफलता पर प्रसन्न होकर आकाश गर्व के साथ तेरी कहानी कहेगा। धरती तेरे पग चिह्नों को अपने ऊपर अंकित कर लेगी। तू अपने त्याग से गौरवपूर्ण इतिहास का निर्माण करेगा। विजय प्राप्त करना ही तेरी कहानी होगी अर्थात् तेरे भाग्य में विजय ही लिखी हुई है।

काव्य सौन्दर्य :
1. कविता में वीर रस की अभिव्यक्ति सुन्दर है।
2. अनुप्रास अलंकार की छटा अद्भुत है।
3. वीर पुरुष के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया गया है ।

mp board class 12 hindi prashn Bank solution pdf download 2021 ( एमपी बोर्ड कक्षा 12 हिन्दी प्रश्न बैंक का संपूर्ण हल )

         हिन्दी   गद्यांश    खंड

एक शब्द वाक्य में उत्तर

1. निबंध किस की कसौटी है?
उत्तर -गद्य की।

2. संकलन त्रय क्या है?
उत्तर -काल,समय और स्थान इन तीनों के संकलन को साहित्य में संकलन त्रय कहते हैं। 3. यशपाल ने साम्यवादी विचारधारा से प्रभावित होकर किस प्रकार की कहानियां लिखी?

प्र.3. भय किन किन रूपों में सामने आता है? उत्तर-भय अपने अनेक रूपों, जैसे-असाध्य, साध्य,कायरता, आशंका इत्यादि रूपों में सामने आता है।

4. क्रोध का प्रभाव किस पर डाला जाता है?
उत्तर -क्रोध का प्रभाव दुःख पर डाला जाता है। दुःर

5. दरवाजे के सामने वाले चबूतरे पर गौखुरों की रुदन -खूदन से क्या बन गई थी?
उत्तर अटपटी सी वर्णमाला।

6. नरवर के राजा मानसिंह ने किसे संरक्षण प्रदान किया?
उत्तर- तात्या टोपे को।

7. गीता सहित पूरे महाभारत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर-गीता हित सम्पूर्ण महाभारत का उद्देश लोक हृदय के मोहावरण को दूर करना है।

8. गीता और स्वधर्म निबंध के लेखक कौन हैं?
उत्तर- विनोबा जी।

9-उदय शंकर भट्ट ने अपने नाटकों के लिए किस प्रकार के परिवारों की समस्याओं को चुना है?
उत्तर-मध्यम वर्गीय परिवार की समस्या।

(2 अंकीय प्रश्न)

प्र.1 भय कायरता और भीरुता की संज्ञा कब प्राप्त करता है?
उत्तर- भय जब स्वभावगत हो जाता है, तब वह कायरता या भीरुता की संज्ञा को प्राप्त करता है।

प्र.2. किस प्रकार के भय को आशंका कहा गया है?
उत्तर-जब आपत्ति या दुःख का पूर्ण निश्चय न रहने पर उसकी मात्र सम्भावना होती है, तबै जो आवैगशून्य भय होता है,उसे आशंका कहते हैं।

प्र.3. भय किन किन रूपों में सामने आता है? उत्तर-भय अपने अनेक रूपों, जैसे-असाध्य, साध्य,कायरता, आशंका इत्यादि रूपों में सामने आता है।

प्र.4. गजाधर बाबू किस नौकरी से रिटायर हुए थे?
उत्तर-गजाधर बाबू रेलवे की नौकरी से रिटायर हुए थे।

प्र.5. परिवार वालों ने गजाधर बाबू के रहने की व्यवस्था कहाँ की थी?
उत्तर-पहले दिन बैठक में कुर्सियों को दीवार से सटाकर बीच में गजाधर बाबू के लिए, पतली-सी चारपाई डाल दी गई थी। तत्पश्चात् पत्नी की कोठरी (भण्डारघर) में उनकी चारपाई डाल दी गई थी।

प्र.6. गजाधर बाबू ने अपनी नौकरी में कितने वर्ष अकेले व्यतीत किए थे?
उत्तर- गजाधर बाबू ने अपनी नौकरी में अपने परिवार की बेहतरी तथा बच्चों की उच्च शिक्षा की आस में परिवार से दूर रेलवे क्वार्टर में अकेले पैंतीस वर्षों की लम्बी अवधि व्यतीत कर दी ।

प्र.7 गजाधर बाबू के स्वभाव की दो विशेषताएँ बतलाइए।
उत्तर-गजाधर बाबू के स्वभाव की दो विशेषताएँ इस प्रकार थी –
1. वे स्नेही व्यक्ति थे तथा स्नेह की आकांक्षा रखते थे।
2. वे परिवार के सदस्यों के साथ मनोविनोद करना चाहते थे।

प्र.8 मकान छोटा होने के कारण विश्वनाथ किस बात से आशंकित हैं?
उत्तर- छोटा मकान व भयंकर गर्मी के कारण विश्वनाथ इस बात से आशंकित हैं कि ऐसे में कहीं कोई मेहमान न आ जाये।

प्र.9 नये मेहमान किस शहर से आये थे?
उत्तर – नए मेहमान बिजनौर शहर से आये थे।

प्र. 10 पेशेवर अध्यक्ष किस प्रकार के वस्त्र पहनते हैं?
उत्तर -पेशेवर अध्यक्ष शेरवानी नाम का विशेष वस्त्र पहनते हैं।

प्र.11अध्यक्ष को गम्भीर किस्म का प्राणी क्यों कहा गया है?
उत्तर- गम्भीर किस्म का प्राणी ही सभा में मनहूस सूरत बना कर बैठता है और अच्छा अध्यक्ष होने की पहली शर्त है-गम्भीर-मनहूस सूरत।

प्र. 12 पुराने अध्यक्ष की शेरवानियों में से किस प्रकार की गन्ध आती है?
उत्तर -पुराने अध्यक्ष की शेरवानियों में से एक विशेष प्रकार की गन्ध आती है और वह है-अध्यक्षता की गन्ध।

प्र.13 लेखक का बचपन कहाँ गुम हो गया है? उत्तर – पुराने घर की जर्जर दीवारों में ही लेखक का बचपन गुम हो गया है।

प्र.14खेत में किस चीज को ढूंढ़ लेना परम सुख की प्राप्ति जैसा था?
उत्तर- खेत में एक पकी कचरिया को ढूँढ लेना ही परम सुख की प्राप्ति थी।

प्र.15 घर खुलते ही लेखक को कैसा लगने लगा था?
उत्तर- घर खुलते ही लेखक को लगा जैसे ताले के साथ ही उनके भीतर कुछ स्मृतियाँ खुलती जा रही थीं।

प्र.16 मेजर मीड ने तात्या टोपे को पकड़ने के लिए क्या सुझाव दिया?
उत्तर- मेजर मीड ने नेपियर को तात्या टोपे को पकड़ने के लिए दिया कि “हमें अपनी सैनिक शक्ति में वृद्धि करनी होगी।”

प्र.17 अजीमुल्ला किस क्रांतिकारी देशभक्त के सहायक थे?
उत्तर- अजीमुल्ला नाना साहब जैसे देशभक्त के सहायक थे।

प्र.18. तात्या को किस गुप्त स्थान पर रखा गया था? (2010)
उत्तर -तात्या को पाडौन के जंगल में एक गुप्त स्थान पर रखा गया था।

प्र. 19 राज महिलाओं का अपहरण कराने में किसका हाथ था?
उत्तर- राज महिलाओं का अपहरण कराने मेंमानसिंह के एक सगे संबंधी नारायण देव का हाथ था।

प्र.20. यशोधरा दुःखी क्यों थी?
उत्तर -मानव के चिर-सुख का अमृत खोजने के लिए गौतम बिना बताये यशोधरा और अबोध बालक राहुल को छोड़कर चले गये थे। इसी वेदना से यशोधरा अत्यन्त दुःखी थीं।

प्र.21 जीवन सागर के मंथन से निकले चिर वियोग के हलाहल को किसने किया?
उत्तर- जीवन सागर के मंथन से निकले चिर-वियोग के हलाहल को गौतम की पत्नी यशोधरा ने पिया।

प्र.22 गौतम कहां चले गए थे?
उत्तर -चिर-सुख का अमुत खोजने के लिए गौतम जंगलों, वनों, पहाड़ों तथा न जाने कहाँ-कहाँ चले गये थे।

प्र.23 गौतम बुद्ध ने यशोधरा से भिक्षा में क्या माँगा?
उत्तर- गौतम बुद्ध ने यशोधरा से भिक्षा में ‘चिर वियोग की भीख माँगी।

प्र.24 अर्जुन के स्वभाव में कौन-सी वृत्ति विद्यमान थी?
इत्तर- कृते-निश्चय होकर और कर्तव्यं भाव से समर-भूमि में खड़े अर्जुन के स्वभाव में क्षात्रवृत्ति विद्यमान थी।

प्र.25 किसने श्रीकृष्ण से अपना सारथ्य स्वीकार कराया?
उत्तर- दुर्योधन के द्वारा संधि प्रस्ताव ठुकराने पर अर्जुन ने अनेक देशों के राजाओं को एकत्र करके श्रीकृष्ण से अपना सारथ्य स्वीकार कराया।

प्र.26 युदध में आज स्वजन सम्बनि्धियों की कितनी पीढ़ियाँ एकत्र हुई थी?

उत्तर- युद्ध भूमि के मध्य खड़े होकर अर्जुन ने देखा कि दादा, बाप, बेटे, पोते, आप्त-स्वजन सम्बन्धियों की चार पीढ़ियाँ एकत्र थीं।

प्र.27 अर्जुन के मन में कौन-सा भाव उत्पन्न हो गया था?
उत्तर -युद्ध के लिए तत्पर स्वजन समूह को देखकर सदैव विजयी रहने वाले अर्जुन के मन में अहिंसा की भाव उत्पन्न हो गया था।

प्र.28 रिपोर्ताज से क्या आशय है ? रिपोर्ताज की तीन विशेषताएं लिखिए।
उत्तर -रिपोर्ताज मूल रूप से फ्रांसीसी भाषा का शब्द है जिसका आशय हैं। सरस एवं भावात्मक अंकन। इसमे लेखक किसी भी आयोजन घटना, संस्था आदि की कलात्मक ढंग से ब्यौरे-बार रिपोर्ट तैयार करके जो प्रस्तुततीकरण करता हैं, उसे ही रिपोर्ताज कहते हैं। विशेषताएँ

(1) रिपोर्ताज हिन्दी की ही नहीं, पाश्चात्य साहित्य की भी नवीनतम विधा है।
(2) इसका जन्म साहित्य और पत्रकारिता के संयोग से हुआ है।
(3) रिपोर्ताज घटना का आँखों देखा हाल होता है।

प्र. 30 निबंध को गद्य की कसौटी क्यों कहा गया है?

उत्तर -गदय साहित्य में निबंध को एक स्वतंत्र और सर्वश्रेष्ठ विधा के रूप में अपनाया गया है। रामचंद्र शुक्ल के अनुसार – “गदयू रचना यदि कवियों की कसौटी है, तो निबंध गदेय की कसौटी है।” किसी लेखक का भाषा पर कितना अधिकार है, यह निबंध के देवारा ही जाना जा सकता है।

प्र. 31 द्विवेदी युग की चार विशेषताएं लिखिए । उत्तर -द्विवेदी युग की चार विशेषताएं इस प्रकार हैं

1. अंधविश्वास रूढ़ियों का विरोध- व्याप्त अंधविश्वास व घाटों पर युग के कवियों ने उस सुमय समाज में प्रयास किया | प्रहार करते हुए मानव को जागृत करने का वर्णन प्रधान कविताएँ 2.यह इस युग की प्रमुख विशेषता है इस युग के कवियों ने वर्णन प्रधान कविताएँ लिखी ।
3. प्रकृति चित्रण – इस युग के कवियों ने प्रकृति के मनोरम चित्र खीचे
4. देश प्रेम की भावना- इस समय भारत परतंत्रता की बेडियों में बंधा हुआ था| अता: इस युग के कवियों ने देश प्रेम युक्त कविताओं की रचना की है।

प्र. 32 आत्मकथा के दो लेखकों तथा रचनाओं के नाम लिखकर आत्मकथा की दो विशेषताएं लिखिए।

उत्तर – लेखक

1. राहुल सांकृत्यायन
2. वियोगी हरि

आत्मकथा की विशेषताएं

रचनाएं

मेरी जीवन यात्रा
मेरा जीवन प्रवाह

1. इस विधा में रचनाकार दृष्टा एवं भोक्ता दोनों बना रहता है।
2. मानव जीवन में अटूट आस्था का होना आत्मकथा का प्रमुख तत्व है।

प्र.33 रेखाचित्र और संस्मरण में चार अंतर लिखिए ।

उत्तर -1.रेखाचित्र में आत्मपर्कता नहीं होती है इसमें कुछ बची हुई स्मुतियाँ हमारे दिल दिमाग में रेखा के रूप में बन जाती है रेखोचित्र कहलाती हैं. संस्मरण में आत्मपरकता होती है ये हमारी पुरानी यादें होती हैं जो अचानक से याद आ जाती है.

2.रेखाच्त्र किसी भी कॉल हो सकता है इसमें यह आवश्यक नहीं कि ये भूतकाल का ही हो. ये आपका वर्तमान का भी हो सकता है. लेकिन संस्मरण हमारा अतीत का ही होता है अर्थात भूतकाल का ही होता है.

३.रेखाचित्र में हम सामान्य व्यक्ति के बारे में बताते हैं लेकिन संस्मरण हमेशा किसी प्रसिद्ध व्यक्ति का ही होता है. जिसके बारे में लेखक के जीवन में कहीं न कहीं बहुते महत्व होगा.

4.रेखाचित्र में कल्पना का समावेश हो सकता है ये चीज जरूरी नहीं की जिसके विषय में आप लिख रहे हैं वो व्यक्ति वास्तविकृता में हो लेकिन संस्मरण में व्यक्ति का कभी न कभी होना अनिवार्य है अर्थात कि इसमें तटस्थता होना अनिवार्य है.

प्र.34 नाटक और एकांकी में चार अंतर लिखिए

उत्तर- 1.नाटक में अनेक अंक होते हैं जबकि एकांकी में केवल एक अंक पाया जाता है अर्थात नाटक मैं कई लोगों के बारे में प्रस्तुति की जाती है।
2. नाटक में आधिकारिक के साथ उसके सहायक और गौण कथाएं भी होती हैं जबकि एकांकी में एक ही कथा का वर्णन होता है.
3. नाटक में किसी भी पात्र या चरित्र का क्रमश विकास दिखाया जाता है जबकि एकांकी में चरित्र पूर्णतः विकसित रूप से दिखाया जाता है. 4. नाटक की विकास प्रक्रिया धीमी होती जबकि एकांकी की विकास प्रक्रिया बहुत तीव्र होती है.

प्र.35 कहानी और उपन्यास में कोई चार अंतर लिखिए

उत्तर

कहानी

1. कहानी पढ़ने में कम समय लगता है
2. कहानी में पात्रों की संख्या कम होती है।
3. कहानी का आकार सीमित होता है।
4.कहानी एक बैठक में समाप्त किया जा सकता है।

उपन्यास

उपन्यास पढ़ने में अधिक
समय लगता है।
उपन्यास में पात्रों की संख्या
अधिक होती है।
उपन्यास का आकार
विस्तृत होता है।
उपन्यास को पढ़ने में
बहुत समय लगता है

प्र. 36 शुक्लोत्तर युग के निबंधों की चार विशेषताएं लिखिए –

उत्तर-
1.आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के नाम पर यह युग ‘शुक्ल युग कहलाया।
2.गदय के क्षेत्र में निबन्ध की विधा में सबसे अधिक समृद्धि शुक्लजी ने ही की।
3. चिन्तामणि’ में शुक्लजी के प्रौढ़तम निबन्ध संग्रहीत हैं। उनके निबन्ध साहित्यिक और आलोचनात्मक हैं।
4.’साधारणीकरण’, ‘व्यक्ति वैचित्र्यवाद’, ‘रसात्मक बोध के विविध रूप’, ‘काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था’ आदि अनेक चिन्तापूर्ण एवं मौलिक विचारों वाले निबन्ध हैं।

प्र.37 संकलन त्रय क्या है? नाटकों में इसका क्या महत्व है?
उत्तर -संकलन-त्रय नाटक और एकांकी के क्षेत्र में तीन नाट्य-अन्वितियों काल, स्थान तथा कार्य के लिए प्रयुक्त पारिभाषिक शब्द है। [1] कथावस्तु, चरित्र -चित्रण, संवाद, देश-काल, भाषा-शैली, उद्देश्य, अभिनेयता एवं संकलन-त्रय एकांकी नाटक के प्रमुख तत्व हैं। इनमें संकलन-त्रय का निर्वाह एकांकी और नाटक के लिए अनिवार्य है। नाटक में संकलन त्रय- संकलन त्रय तिन चीजों के संकलन को कहते हैं परन्तु साहित्य में यह विशेष अर्थ मेप्र्योग होता है जिस में देश यानी स्थान जैसे देहली कलकाता आदि दूसरा है काल जिस कसहिटी में अर्थ है समय यानि कोई घटना किस समय की है जैसे विभाजन की त्रासदी का समय स्वतन्त्रता के बाद का समय आदि और तीसरा है वातावरण यानि वहन पर कैसा वातावरण है उस समय लोग कैसी भाषा बोलते हैं कैसे वस्त्र पहनते हैं आदि इन तीनों को मिल कर साहित्य में संकलन त्रय कहते हैं।

प्र.38 निबंध की सर्वमान्य परिभाषा देते हुए उसकी तीन प्रमुख शैलियों के नाम लिखिए

उत्तर-किसी एक विषय पर विचारों को क्रमबद्ध कर सुंदर, सुगठित और सुबोध भाषा में लिखी रचना को निबंध कहते हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबंध की परिभाषा देते हुए लिखा, “आधुनिक पाश्चात्य लेखकों के अनुसार निबंध उसी को कहना चाहिए जिसमें व्यक्तित्व अर्थात् व्यक्तिगत विशेषता है।

1. वर्णनात्मक निबंध
2. विवरणात्मक निबंध
3. विचारात्मक निबंध

(4 अंक के प्रश्न)

प्र. 1. निम्नलिखित लेखकों की साहित्यिक विषेशताएं निम्न बिंदुओं के आधार पर दीजिए

(अ) दो रचनाएं
(ब) भाषा शैली
(स) साहित्य में स्थान

1. आचार्य रामचंद्र शुक्ल
2.उषा प्रियंवदा
3. उदय शंकर भट्ट
4.शरद जोशी
5.डॉ श्यामसुंदर दुबे

नोट -विद्यार्थी उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर दिए गए कवियों का साहित्यिक परिचय पाठ पुस्तक से तैयार करें।

प्र.2 निम्न गद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए किसी आती हुई आपदा की भावना या दुःख के कारण के

1. साक्षात्कार से जो एक प्रकार का आवेगपूर्ण अथवा स्तंभ-कारक मनोविकार होता है, उसी को भय कहते हैं। क्रोध दुख के कारण पर प्रभाव डालने के लिए आखिर करता है और भय उसकी पहुंच के बाहर होने के लिए। क्रोध दुख के कारण के स्वरूप बोध के बिना नहीं होता।

सन्दर्भ -प्रस्तुत अवतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक के निबन्ध ‘भय’ से उद्धृत है। इसके लेखक ‘आचार्य रामचन्द्र शुक्ल’ हैं।

प्रसंग- इस पंक्ति में लेखक ने भय का अर्थ बताते हुए कहा है कि भविष्य के दुःख की कल्पना ही भय है।

व्याख्या- भय का शाब्दिक अर्थ है-‘इर। इर हृदय में उत्पन्न वह भाव है, जो व्याकुलता तथा आश्चर्य को जन्म देता है। अत: आने वाले दुःख अथवा मुसीबत की कल्पना से उत्पन्न मनःस्थिति का नाम भय है। जब प्राणी का सामना आने वाले दुःखों से होता है, तब उसके मन में एक अजीब-सी आकुलता और आश्चर्यजनक मनोभाव जाग्रत होता है इसी मनोभाव को साहित्य में भय के नाम से जाना जाता है । इस प्रकार दुःख या हानि की कल्पना ही भय है।

विशेष –
1. ‘भय’ मनोभाव का मनोवैज्ञानिक रूप से अर्थ स्पष्ट किया है।
2. संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली का प्रयोग है।
3. सम्पूर्ण व्याख्या अंश का रूप एक मिश्र वाक्य है।
4. विचारात्मक व गवेषणात्मक शैली का प्रयोग है

3. वे तो हमें मसीबत में देखकर प्रसन्न होते हैं। उस दिन मैंने कहा तो लाला की औरत बोली: ‘क्या छत् तुम्हारे लिए है? नकद पचास देते हैं, तब चार खाटों की जगह मिली है। न, बाबा, यह नहीं हो सकेगा। मैं खाट नहीं बिछाने दूंगी। सब हवा रुक जाएगी। उन्हें और किसी को सोता देखकर नींद नहीं आती।’

सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्य अवतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘नये मेहमान’ नामक पाठ से लिया गया इसके लेखक देश के शीर्षस्थ एकांकीकार ‘उदयशंकर भट्ट’ हैं।

प्रसंग- बड़े नगरों में किराये के मकान में रहने वालों के मध्यमवर्गीय समाज की परेशानियों का चित्रण अति सरल व सामान्य बोलचाल के माध्यम से किया गया है।

व्याख्या
गर्मी का मौसम है। सोने के लिए खुली जगह की कमी है. परन्तु पड़ोसी की छत खाली होने पर भी कोई पड़ोसी उसे उपयोग में नहीं ला सकता है। रेवती पति से कहती है कि पड़ोसी-पड़ोसी को दुःखी देखकर प्रसन्न होते हैं। छत पर बच्चों को सुलाने की पूछने पर कहती है कि ऊँचा किराया देने पर ही ऐसा मकान मिला है, जिसमें खुली छत है। यह छत दूसरों के प्रयोग के लिए न होकर अपने प्रयोग के लिए है। दूसरों की खाट डालने से हवा रुक जायेगी तथा लाला को नींद भी नहीं आती है। मूल में भावना है कि यह छत किसी को नहीं दी जायेगी।

विशेष

1. पड़ोसी के स्वार्थी स्वभाव का चित्रण है।
2. भाषा सामान्य बोलचाल की है, जिसमें देशज शब्द, जैसे-खाट तथा उर्दू शब्द, जैसे-मुसीबत का प्रयोग हुआ है।
3. वाक्य अति संक्षिप्त किन्तु प्रभावशाली हैं।

4. है, पर तात्या छोटा होता हुआ भी अपने में असीम है। हम लोग पीछा करते-करते निराश हो गये हैं। उसमें जादू की-सी करामात है। कभी तो उसके पास हजारों सैनिक रहते हैं, क्रान्तिकारियों की सेनाएँ अचानक आ जाती हैं; तोपों और शस्त्रों की गड़गड़ाहट से हम लोग भयभीत हो जाते हैं। कभी एक छोटी-सी टुकड़ी लिए ही सामने से निकल जाता है।

सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘तात्या टोपे’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक डॉ. सुरेश शुक्ल ‘चन्द्र’ हैं।
प्रसंग -सर राबर्ट्स नेपियर मेजर मीड़ से कहते हैं कि एक छोटे से भारतीय क्रान्तिकारी को पकड़ने के लिए सात सेनाएँ लगी हैं फिर भी वह पकड़ में नहीं आता है। यह आश्चर्य का विषय है । तब मीड कहते हैं यह एक आश्चर्य की ही तो बात है।

व्याख्या- मीड नेपियर के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते हैं कि कितने आश्चर्य की बात है कि तात्या जो एक छोटा-सा क्रान्तिकारी है परन्तु उसमें सीमा रहित शक्ति है, वह अपने में बहुत ही व्यापक है। अंग्रेजी सेना की सात टुकड़ियाँ उसका पीछा कर रही हैं,एक वर्ष हो गया पर वह पकड़ में नहीं आता क्योंकि उसमें जादूगर जैसी कारगुजारी है । कभी उसकी सेना में हजारों सैनिक रहते हैं, तात्या की सेना अचानक आकर उपस्थित हो अंग्रेजी सेनाओं पर हमला कर देती है, जिससे अंग्रेजी सैनिक भयातुर हो जाते हैं। वे अपने को कमजोर महसूस करने लगते हैं। तात्या की तोपें आग उगलने लगती हैं,भयंकर आवाजे से शत्रुओं को डरा देती हैं। यहाँ तक कि स्वयं तात्या थोड़े से सैनिकों के साथ अंग्रेजी सेना के सामने से धोखा देकर निकल जाता है, क्योंकि अंग्रेजों को तात्या की दैहिक पहचान नहीं है । इस अनभिज्ञता का पूरा पूरा लाभ उठाना वह जानता है। अंग्रेज भी तात्या की इस चतुराई से आश्चर्यचकित तथा अपनी असफलता पर निराश होते हैं।

विशेष –
1. तात्या की चतुराई, रण-कौशल के साथ अंग्रेजी सेना की असमर्थता और निराशा का परिचय मिलता है।
2. भाषा सरल तथा बोधगम्य बोलचाल की है। 3. संस्कृत की तत्सम शब्दावली के साथ उर्दू के शब्दों का प्रयोग।
4. शैली व्याख्यात्मक।

6. गीता का और मेरा सम्बन्ध तर्क से परे है। मेरा शरीर माँ के दूध पर जितना पला है, इससे कुहीं अधिक मेरे हृदय और बुद्धि का पोषणी गीता के दूध पूर हुआ जहाँ हार्दिक संबंध होता है, वहां तर्क की गुंजाइश नहीं रहती। तर्क को काटकर श्रद्धा और प्रयोग, इन दो पंखों से ही मैं गीता-गगन में यथाशक्ति उड़ान भरता रहता हूँ।

संदर्भ – प्रस्तुत गद्य अवतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक के निबन्ध ‘गीता और स्वधर्म’ नामक पाठ से अवतरित है। इसके लेखक आचार्य विनोबा भावे हैं।

प्रसंग- इन पंक्तियों में गीता तथा विनोबा भावे के सम्बन्ध को तर्कहीन बताकर गीता के प्रति उनकी अपार श्रद्धा को व्यक्त किया गया है।

व्याख्या-विनोबा भावे गीता पर प्रवचन देते हुए कहते हैं कि उनका और गीता का सम्बन्ध अलौकिक है जिसे शब्दों के द्वारा नहीं बताया जा सकता, न उस सम्बन्ध के विषय में कोई दलील या बहस की जा सकती है।

गीता के साथ अपने सम्बन्ध को स्पष्ट करते हुए वे कहते हैं कि माँ के दूध व वात्सल्य से उनके शरीर का निर्माण हुआ परन्तु इनके हृदय व बदधि का विकास गीता के ज्ञान से हुआ। गीता के रहस्य ने ही उनके हृदय को पवित्रे तथा बुद्धि को परिष्कृत किया है। जब किसी से हार्दिक सम्बन्ध हो जाते हैं तो वहाँ बहस यो दलील व्यर्थ हो जाती हैं। हृदय दलीलों को नहीं मानता, वह तो सत्य व कोमलता को स्वीकार करता है। जिस प्रकार एक पक्षी अपने दोनों पंखों की सहायता से स्वछन्द्र नीले आकाश में अपनी पूर्ण शक्ति के साथ उड़ान भरता हुआ प्रसन्न होता है ठीक उसी प्रकार विनोबा जी भी गीता में श्रद्धा रखते हुए तथा उसे अपने जीवन में साक्षात प्रयोग करते हुए गीता के अर्थ को यो उसके रहस्य को समझते हैं और सुख का अनुभव करते हैं। श्रद्धा और प्रयोग उनके गहन अध्ययन के दो आधार रूपी पंख हैं।

विशेष

1. विनोबा जी की गीता के प्रति श्रद्धा अभिव्यक्त की गई है।
2. संस्कृतनिष्ठ शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग है।
3. गीता-गगन में रूपक अलंकार का प्रयोग है।
4. उदाहरण व गवेषणात्मक शैली का प्रयोग है।

हिन्दी प्रश्न बैंक का संपूर्ण हल pdf download click here

हिन्दी सहायक वाचन संपूर्ण प्रश्न बैंक solution pdf download 

काव्य बोध तथा भाषा बोध प्रश्न बैंक solution pdf download

About Atul 1527 Articles
Atul was born in Ahmedabad. He began writing in 2021, and has contributed to the educational and finance content. He lives in Ahmedabad.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*