बीयू सहित प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों में 15 साल बाद फिर से री-वैल्यूएशन की सुविधा स्टूडेंट्स को मिलेगी। राजभवन की समन्वय समिति की स्वीकृति मिलने के बाद व्यवस्थाओं में परिवर्तन किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग ने वर्ष 2007 में इस व्यवस्था पर रोक लगा दी थी। स्टूडेंट्स और उनके अभिभावक लंबे से इसे शुरू करने की मांग कर रहे थे। बढ़ती मांग को देखते हुए अब दोबारा री-वैल्यूएशन की सुविधा शुरू की जा रही है। कुलपतियों का कहना है कि इसके अभाव में कई विद्यार्थियों के साथ अन्याय हो जाता था। उनकी कॉपियों को दोबारा से मूल्यांकन कराने में काफी नियम-कायदों से गुजरना होता था। इसमें विद्यार्थियों का समय और धन दोनों खर्च होता था।
वार्षिक सिस्टम में री-वैल्यूएशन की व्यवस्था करना मप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के तहत होगा। कॉपी में लिखे उत्तर पर स्टूडेंट कर सकेंगे सवाल जवाब: पारंपरिक कोर्स में किसी विद्यार्थी को कम अंक मिलते हैं, तो अब वह मूल्यांकन को चैलेंज कर सकता है। इसमें विद्यार्थी प्रोफेसर से कॉपी में लिखे जवाब पर तर्क वितर्क कर सकते हैं। कई बार स्टूडेंट को लगता है कि उनके सही उत्तर होने के बाद भी रिजल्ट बिगड़ जाता है, जो अब नहीं होगा। इससे पहले विवि में परीक्षा देने वाले छात्रों को केवल अंकों के री-टोटलिंग की सुविधा दी जाती थी। लेकिन अब छात्रों ने आंसर शीट पर जो भी उत्तर लिखे गए। समन्वय समिति से मिली स्वीकृति, विभाग ने वर्ष 2007 में लगाई थी रोक।
प्रोफेसर से होता था तर्क-वितर्क:-
सेमेस्टर खत्म, व्यवस्था लागू
सेमेस्टर को खत्म हुये चौथा साल जा रहा है। लेकिन उससे जुड़ी व्यवस्थाएं अभी तक विभाग और विश्वविद्यालय खत्म नहीं कर सकें हैं। वार्षिक सिस्टम में री-वैल्यूएशन की व्यवस्था ही करना मप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के तहत होगा। इससे विद्यार्थियों को अपनी कॉपियों का मूल्यांकन कर रिजल्ट हासिल हो सकेंगे। 2007 में उच्च शिक्षा विभाग ने सेमेस्टर सिस्टम को प्रदेश के विवि और कालेजों में लागू किया था। इससे पारंपरिक कोर्स में री-वैल्यूएशन बंद किया गया था, लेकिन प्रोफेशनल कोर्स में व्यवस्था यथावत रही। पारंपरिक कोर्स में किसी विद्यार्थी को कम अंक मिलते हैं, तो वे मूल्यांकन को चैलेंज कर सकता था। इसमें विद्यार्थी प्रोफेसर से कॉपी में लिखे जवाब पर तर्क-वितर्क कर सकते हैं। प्रोफेसर की रिपोर्ट के बाद ही विद्यार्थियों के अंकों में परिवर्तन होता है। वरना उसे फीस का भुगतान करना होता है। इससे कई विद्यार्थियों का रिजल्ट बिगड़ा है, जिसके कारण उनका साल भी बर्बाद हुआ है।
स्टूडेंट्स को सहूलियत होगी:-
री-वैल्यूएशन की सुविधा निश्चित ही स्टूडेंट्स के हित में है। विवि का काम स्टूडेंट्स की पढ़ाई ही नहीं, बल्कि उनकी परीक्षा लेकर पारदर्शिता के साथ रिजल्ट देना है। री-वैल्यूएशन की सुविधा लागू होने से छात्रों को संतुष्टि मिलेगी। डॉ. आईके मंशूरी, रजिस्ट्रार विश्वविद्यालय, भोपाल
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