कॉलेजों में फिलहाल इस सत्र में भी छात्र संघ चुनाव होने की उम्मीद नहीं है। वैसे तो एकेडमिक कैलेंडर के अनुसार, यह चुनाव अक्टूबर में होने थे, लेकिन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रणाली के चक्कर में फैसला नहीं हो पाया। अभी चार साल बाद चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई थी कि कोरोना के प्रकरण बढ़ने लगे हैं। अब अप्रैल-मई तक ही चुनाव हो सकते हैं। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक, चुनाव गत वर्ष अक्टूबर में होने थे, लेकिन काउंसलिंग के कारण नहीं हो सके। तब विभाग ने चुनाव के लिए 15 दिन का कार्यक्रम तैयार किया था।
चार साल बाद होने जा रहे चुनावों के संदर्भ में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रणाली का फैसला करेंगे सीएम

ऐसे समझें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को
प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली: प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली में कॉलेज में पढ़ने वाला कोई भी विद्यार्थी किसी भी पद के लिए उम्मीदवारी कर सकता है। इस प्रणाली में कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी सीधे पसंदीदा उम्मीदवार को वोट कर चुनते हैं। इसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सचिव, सह सचिव और विवि प्रतिनिधि शामिल हैं।
अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली: अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली में कॉलेज में मेरिट हासिल करने वाले विद्यार्थी के हिसाब से पदों पर उम्मीदवारी होती है। इसमें विद्यार्थी को सभी सेमेस्टर पास होना जरूरी का समाले छात्र प्रतिनिधि चुनते हैं। चयनित कक्षा प्रतिनिधि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, सह सचिव और विवि प्रतिनिधि का चयन करते हैं।
2017 के बाद से छात्र संघ चुनाव नहीं हुए हैं। सरकारको एकेडमिक कैलेंडर के अनुसार अन्य गतिविधियों की तरह छात्रसंघ चुनाव भी प्रत्यक्ष प्रणाली से कराना चाहिए । चुनाव नहीं होने से छात्रों का प्रतिनिधित्व खत्म हो रहा है।
अभिषेक त्रिपाठी, संयोजक, निजी विश्वविद्यालय, एबीवीपी
प्रदेश सरकार कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराकर छात्रों की आवाज को दबाना चाहती है। इसलिएर साल से चुनावटाले जा रहे हैं। पड़ोसी राजस्थान, छत्तीसगढ़ की तरह प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनावहों।
आशुतोष चौकसे, प्रदेश उपाध्यक्ष, एनएसयूआई
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