रीवा में जानें लाइब्रेरी के हालत | Rewa Library condition

Rewa Library condition
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लाइब्रेरी हर स्कूल की जरूरत है। लाइब्रेरी न होने से छात्र – छात्राओं की शिक्षा में बहुत प्रभाग पड़ता है। प्रदेश के कई सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में लाइब्रेरी के नाम पर एक अलमारी हुआ करती है जिसमें बुक सजा दी जाती है और उसे लाइब्रेरी का नाम दे दिया जाता है। ऐसे ही कुछ मामले पद्रेश के रीवा जिले में देखने को मिले हैं। जानते हैं लाइब्रेरी को लेकर क्या हैं हालात रीवा के।

रीवा में जानें लाइब्रेरी के हालत | Rewa Library condition

छात्रों को पठन-पाठन की बेहतर सुविधा सरकारी स्कूलों में मिले इसको लेकर राज्य सरकार प्रतिवर्ष राशि खर्च कर रही है लेकिन उसका लाभ न तो विद्यार्थियों को मिल पा रहा है और न ही सुविधाएं। हकीकत यह है कि संभाग की लगभग 9सौ से अधिक ऐसी हायर सेकेण्ड्री व हाईस्कूलें हैं जहां पर लाइब्रेरी ही नहीं हैं। यही नहीं लाइब्रेरियन के पद भी खाली हैं। ऐसे में पठन-पाठन की व्यवस्था कैसे होगी यह समझ से परे है। सवाल यह उठता है कि लाइब्रेरी नहीं होने की वजह से छात्रों की पढ़ाई पर भी असर पड़ता है इसका जिम्मेदार कौन है। सरकारी स्कूलों को विदेश की तर्ज पर विकसित करने की तैयारी भले स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा तैयार की जा रही हो लेकिन स्कूलों में संसाधन की बेहद कमी है स्कूलों में लाइब्रेरी ही नहीं है। कहीं कहीं तो लाइाब्रेरी के नाम पर एक छोटा सा कमरा है।

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केवल 10% स्कूलों में है लाइब्रेरी

संभाग में 996 हायर सेकेंडरी एवं हाई स्कूलों में से 900 स्कूलों में लाइब्रेरी ही नहीं है। साथ ही लाइब्रेरियन के पद भी रिक्त हैं। स्कूलों में करीब 24 साल से लाइब्रेरियन की भर्ती नहीं हुई, वहीं संभाग के 900 स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है। इन परिस्थतियों में बच्चों के पठन पाठन की व्यवस्था कैसे होगी यह अधिकारियों के लिए एक सोचनीय विषय है। शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर सुधारने के लिए लाख कवायद की जा रही है लेकिन जब स्कूलों में संसाधन ही नहीं है तो कैसे सुधार हो सकेगा।

सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी में छात्रों को सिर्फ कोर्स की किताबें ही मिलती हैं विद्यार्थियों को प्रतियोगिता संबंधित न्यूज पेपर मैगजीन व अन्य प्रेरक किताबें पढ़ने के लिए नहीं मिल रही है। ऐसे में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने तथा गुणवत्ता में सुधार के लिए लाख कवायत करने के बाद भी शिक्षा का स्तर नहीं सुधर पा रहा है।

38 साल से नहीं हुई लाइब्रेरियन की भर्ती

सरकारी स्कूलों में सभी वर्ग के लिए वर्ष 1982 में लाइबेरियन की भर्ती हुई थी इसके बाद 1995 में अनुसूचित जाति जनजाति लाइब्रेरियन की भर्ती हुई थी। जिन स्कूलों में लाइब्रेरियन के पद खाली हुए वहां पर दोबारा भर्ती ही नहीं हुई संभाग में लगभग 800 सौ ऐसे विद्यालय है, जहां लाइब्रेरियन ही नहीं है। इतना ही नहीं अब तक स्कूल शिक्षा विभाग ने पुस्तकालय अधिनियम भी लागू नहीं किया, जबकि प्रारूप तैयार है। उल्लेखनीय है कि रीवा संभाग में 464 हार नहीं होने की वजह से छात्रों की पढ़ाई कहीं लाइब्रेरी के नाम पर एक छोटा नहीं है। इन परिस्थितियों में बच्चों के सेकेंडरी एवं 432 हाई स्कूल सरकारी संचालित हो रहे हैं।

महत्वपूर्ण जानकारियाँ —

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