शहर की निजी स्कूलों में अब कक्षावार ली जाने वाली मासिक और अन्य फीसों की जानकारी नोटिस बोर्ड पर लगाना अनिवार्य होगा। यही नहीं स्कूल बस का किलोमीटर के हिसाब से जो चार्ज लिया जाता है, वह भी दर्शाना पड़ेगा। जिससे पालकों को किसी भी तरह का भ्रम न हो। यही नहीं संचालक यूनिफार्म और किताबों के लिए भी अभिभावकों को बाध्य नहीं कर सकेंगे। लोग खुले बाजार से इसे खरीद सकेंगे। इस संबंध में सोमवार को कलेक्टर अविनाश लवानिया ने जिले के सभी निजी स्कूलों को आदेश जारी कर दिए हैं। यह भी दर्शना पड़ेगा कि कितने किलोमीटर बस का चार्ज है पर किलो मीटर के हिसाब से चार्ज नोटिस बोर्ड पर लगेगा।
दरअसल, प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस की लगातार हो रही शिकायतों के बाद यह फैसला लिया गया है। स्कूल संचालक फीस का ब्यौरा नोटिस बोर्ड पर दर्ज नहीं करते हैं। जबकि फीस जमा करने के दौरान पालकों को रसीद थमा दी जाती है। प्राइवेट स्कूलों में फीस को लेकर आए दिन शिकायतें हो रही हैं। स्कूल फीस बस फीस इत्यादि। ऐसे में स्कूलों में आए दिन विवाद होते हैं। जिसको लेकर सोमवार को जारी आदेश में कहा गया है कि प्राइवेट स्कूल संचालक स्कूल के नोटिस बोर्ड पर कक्षावार फीस, यूनीफार्म, ट्रांसपोर्ट की जानकारी चस्पा करेंगे। स्कूल की वेबसाइट पर भी इसकी जानकारी देना पड़ेगी।
प्राइवेट स्कूल अब नहीं कर पाएंगे मनमानी:-
स्कूल की फीस और वर्दी सहित अब मानने पड़ेंगे ये नियम वर्ना होगी मान्यता रद्द। 2022-23 के शैक्षणिक सत्र से निजी स्कूलों के नकद फीस लेने पर भी रोक लगा दी गई है। स्कूलों को चेक या ऑनलाइन माध्यम से ही फीस जमा करवानी होगी। स्कूल 5 साल से पहले यूनिफॉर्म भी नहीं बदल सकेंगे। स्टेशनरी आदि खरीदने के लिए कहीं से भी मजबूर नहीं किया जाएगा। इसके बाद भी अगर कोई स्कूल 3 बार से अधिक दोषी पाया जाता है तो उसकी मान्यता को भी रद्द किया जा सकता है। जानकारी हो कि स्कूल प्रबंधन द्वारा अभिभावकों या विद्यार्थियों द्वारा किताबें, गणवेश, जूते, कापी आदि केवल चयनित दुकाने से खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
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अभिभावक इसे कहीं से भी खरीदने के लिए स्वतंत्र होंगे। जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने कहा कि अगर वेबसाइट पर सही जानकारी अपलोड नहीं की गई और निरीक्षण में इसे गलत पाया जाता है तो स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई होगी। स्कूलों का औचक निरीक्षण किया जाएगा। यदि निजी स्कूल द्वारा गणवेश में कोई परिवर्तन किया जाता है तो वह आगामी तीन शैक्षणिक सत्रों तक यथावत लागू रहेगी। तीन साल के बाद ही गणवेश में परिवर्तन कर सकेंगे। निजी स्कूल प्रबंधन को परिवहन सुविधाओं के संबंध में परिवहन विभाग एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। कलेक्टर ने यह निर्देश अभिभावकों द्वारा समय-समय पर की गई शिकायतों के बाद दिए हैं।
स्कूल 10.13% से अधिक फीस नहीं बढ़ा सकते:-
फीस वृद्धि कानून को लेकर शिक्षा निदेशालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है। इससे पहले जारी आदेशों में कहा गया था कि कोई भी निजी स्कूल 10.13% से अधिक फीस नहीं बढ़ा सकते हैं। जितने भी प्राइवेट स्कूल हैं, उन्हें अब इन आदेशों के तहत ही कार्य करना होगा। कई शैक्षणिक संस्थान कैश से छात्रों की फीस लेते है जबकि कागजों में फीस कुछ और ही दर्शाई जाती है। ऐसे में कोई भी स्कूल फीस जमा करने की प्रक्रिया को खुली और पारदर्शी रखेगा।
बोर्ड परीक्षाओं की ही केवल एग्जाम फीस ली जाएगी
छात्रों से फीस डीडी, एनईएफटी, चेक, आरटीजीएस या अन्य किसी डिजिटल माध्यम से ली जाएगी। इसके साथ ही कोई भी स्कूल छमाई या वार्षिक आधार पर फीस नहीं लेगा। इसके साथ ही स्कूल में प्रवेश के समय पहली, छठी, 9वीं और 11वीं कक्षा में दाखिले के समय पर भुगतान योग्य दाखिला फीस ली जा सकेगी। स्कूलों को स्पष्ट किया गया है कि बोर्ड परीक्षाओं की ही केवल एग्जाम फीस ली जाएगी।
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Tauseef was born in Deharadoon, Uttarakhand. He began writing in 2021, and has contributed to the educational and finance content. He lives in Nainitaal.