बीते कुछ वर्षाें से देखा जा रहा है कि ओबीसी वर्ग के छात्र – छात्राओं को पढ़ाई हेतु स्काॅलरशिप की राशि नहीं मिल पा रही है। कई छात्र छात्राओं ने तो ड्राॅप भी लिया है और वह स्काॅलरशिप का इंतजार कर रहे हैं। रीवा जिले में कई छात्र छात्राओं ने तो घर लौटने का इरादा भी बना लिया है। कारण पूछने पर पता चला कि वह 3 साल से स्काॅलरशिप से वंचित हैं। और आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण वह आगे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। उनका कहना है कि स्काॅलरशिप जब आएगी तो वह पुनः पढ़ाई शुरू कर देंगे। ऐसे में इन विद्यार्थियों का समय खराब हो रहा है।
छात्रवृत्ति नहीं मिली तो नहीं पढ़ सकेंगे आगे
विगत डेढ़ सालों से उच्च शिक्षा विभाग में मौर अध्ययन करने वाले पिछड़ा वर्ग के 10 हजार छात्रों को छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं होने की वजह से उनके सामने न सिर्फ आर्थिक संकट पैदा हो गया है बल्कि किराए से मकान लेकर रहने वाले छात्रों ने अब मकान खाली करने का भी मन बना लिया है। काफी समय से छात्रवृत्ति नहीं मिलने की वजह शासन द्वारा बजट जारी न करना बताया गया है। जिले में कुल 30 हजार ओबीसी छात्र हैं कर जिसमें से 10 हजार छात्रों को 8 करोड़ की राशि वितरित की जानी है।
- 10 हजार छात्रों को डेढ़ वर्ष से छात्रवृत्ति का इंतजार
- शासन ने नहीं जारी किया बजट, 8 करोड़ बकाया है राशि

प्रतिदिन सीएम हेल्प लाइन में दर्जन भर शिकायतें
जानकारी के अनुसार ओबीसी छात्रों को स्कॉलरशिप नहीं मिलने की वजह से पठन-पाठन में समस्या झेलनी पड़ रही है। प्रतिदिन दर्जन भर से अधिक शिकायतें सीएम हेल्प लाइन में की जा रही हैं। ओबीसी विभाग के अधिकारियों की मानें तो शिकायतों का निराकरण करने के प्रयास किए जाते हैं किन्तु शासन ने बजट ही जारी नहीं किया तो छात्रों को स्कॉलरशिप का वितरण कैसे करें यह अधिकारियों के सामने समस्या बनी हुई है। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि प्रतिदिन सीएम हेल्प लाइन से आने वाली शिकायतों के मामले में शिकायतकर्ता छात्रों से चर्चा की जाती है।
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किराया देने की समस्या
रीवा जिले में लगभग 10 हजार उच्च शिक्षा विभाग में अध्ययनरत ऐसे छात्र हैं जिन्हें अपने स्कॉलरशिप का इंतजार है। छात्रों को स्कॉलरशिप नहीं मिलने के कारण किताबें व कॉपियां खरीदना मुश्किल पड़ रहा है। यही नहीं किराया भी नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में अब वह पढ़ाई बंद कर कमरा खाली करने का मन बना चुके हैं। बताया तो वह भी गया है कि कई छात्रों ने मकान खाली कर दिया है और वह अपने गांव चले गए हैं। उनका कहना है कि छात्रवृत्ति मिलने के बाद ही वह फिर से पढ़ाई शुरू करेंगे।
आठ करोड़ का होना है भुगतान
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि आठ करोड़ रुपए छात्रों को स्कॉलरशिप के लिए दिए जाने हैं किन्तु सरकारी बजट जारी नहीं होने की वजह से वितरित नहीं हो पा रही है। लगातार छात्र विभाग में शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता।
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