कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते 12वीं तक के स्कूल में आज 31 जनवरी की अवधि तक अवकाश घोषित है। अभी स्कूल के खुलने की उल्टी गिनती शुरू होते ही अभिभावकों में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभी आगे और अवधि तक के लिए स्कूल को बंद रखने की मांग शुरू हो गई है। चर्चा के दौरान कई अभिभावकों ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा छात्र छात्राओं को जोखिम में डालने की तैयारी की जा रही है। यदि स्कूल कोरोनावायरस के मामलों में गिरावट होने तक बंद रहे तो इसमें क्या दिक्कत है। शासन द्वारा छात्र-छात्राओं के हितों को तवज्जो देने की बजाय स्कूल खोलने के लिए काफी जल्दबाजी में निर्णय लेने की तैयारी की जा रही है।
वहीं प्रदेश से लगे अन्य प्रदेशों में स्कूल को आगे भी बंद रखने के आदेश पूर्व में भी जारी किए जा चुके हैं। वहीं मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस क्रमण गंभीर हालत में अभी मौजूद है। इसके बाद भी छोटे बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के नुकसान की बहानेबाजी करते हुए खोलने की तैयारी की जा रही है। अभिभावकों का कहना था कि वर्तमान में कड़ाके की ठंडी बनी हुई है। शीतलहर का प्रकोप भी कई दिनों से चल रहा है। जिसके चलते छात्र-छात्राएं घर में ही ठंड लगने से बीमार हो रहे हैं। यदि ऐसे हालात में स्कूल को खोला गया तो निश्चित ही छात्र-छात्राओं बच्चा बढ़ जाएगी।
अभिभावकों का कहना है कि कड़ाके की ठंड है-
कड़ाके की ठंड के साथ में कोरोनावायरस का खतरा भी बना हुआ है। स्कूल में इस तरह की व्यवस्था नहीं है कि वह सोशल डिस्पेंसिंग का पालन हो सके तथा छात्र-छात्राएं कोरोनावायरस साइडलाइन का पालन करें। छात्र-छात्राओं के स्कूल जाने पर जोखिम के अलावा कुछ नहीं है। ऐसे में शासन को फिलहाल 15 फरवरी तक के लिए कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के स्कूल को बंद रखने का निर्णय लेना चाहिए। दिखाया जा रहा है कि छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को लेकर शासन में बैठे लोग बेफिक्रे हैं। उनको सिर्फ स्कूल को बंद रहने से होने वाले नुकसान का ही हिसाब है।
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छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य से बढ़कर कुछ भी नहीं है कहां जा रहा है-
शासन को भी छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को लेकर अन्य प्रदेश में हुए निर्णय पर अमल करना चाहिए। इन प्रदेशों में भी लाखों बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं लेकिन उनके स्वास्थ्य को दाव में लगाना उचित नहीं समझा गया है। प्रदेश सरकार के निर्देश पर वर्तमान में छात्र-छात्राएं घर में रहकर ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं।
यहां तक कि कक्षा 10वीं एवं 12वीं बोर्ड के छात्र-छात्राओं द्वारा ओपन बुक पद्धति से प्रि बोर्ड परीक्षा भी सफलतापूर्वक दी गई है। छात्र-छात्राएं भी वर्तमान में यही चाहते हैं। की कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच वह स्कूल में न जाएं।
अभिभावको द्वारा 15 फरवरी तक स्कूल बंद रहने की मांग-
वर्तमान में शीतलहर एवं कड़ाके की ठंड का प्रकोप भी 15 फरवरी तक बना रहेगा। ऐसे मौसम में स्कूलों का खोला जाना उचित नहीं होगा। अभिभावकों द्वारा प्रदेश सरकार से 15 फरवरी तक स्कूल के संचालन पर रोक लगाने की मांग की है।
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