प्रदेश में दसवीं एवं बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल हर पहलुओं को गंभीरता से ले रहा है। हर केन्द्र पर परीक्षा निर्विवाद रूप से संपन्न हो, इसके लिए प्रत्येक जिले में कलेक्टर को एक-एक लाख रुपए की राशि उपलब्ध करवाई जाएगी। उक्त राशि के खर्च ब्यौरे का जिलाधिकारियों को प्रमाण पत्र भे प्रेषित करना होगा।
माशिमं की तरफ से कलेक्टर को मिलेंगे एक लाख रुपए
मंडल की सिर-दर्दी खासकर संवेदन और अतिसंवेदनशील केन्द्र बने हैं। पूर्व के आंकड़ों को देखते हुए कई केन्द्रों पर प्रमुख विषयों की परीक्षा में सामूहिक नकल के प्रकरण सामने आये हैं। इस कारण माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव श्रीकांत बनौठ द्वारा समस्त जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखा गया है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश में जितने भी संवेदनशील और अतिसंवेदनशील केन्द्र निर्धारित किये गये हैं। वहां पर नकल रोकने की पूरी व्यवस्था की जाए।
क्यों दिए जा रहे हैं एक लाख रूपये
संवेदनशील एवं अतिसंवेदनशील केन्द्रों पर अधिकतम 10 दिवस के लिए हायर सेकंडरी के मुख्य विषय गणित, अंग्रेजी, भौतिक, रसायन विज्ञान एवं रसायन शास्त्र तथा हाईस्कूल के लिए अंग्रेजी विज्ञान, गणित एवं सामाजिक विज्ञान के लिए प्रेक्षकों की नियुक्ति की गई है। जिनका व्यय परीक्षा संचालन, फर्नीचर, परिवहन व्यवस्था एवं नकल रोकने के लिए निरीक्षण हेतु वाहन की व्यवस्था के लिए एक लाख रुपए दिए जाएंगे।

- सामूहिक नकल रोकने हर जिले में कलेक्टर को मिलेंगे एक लाख रुपए
- परिवहन, निरीक्षण सहित अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च होगी यह राशि
उक्त राशि का व्यय कलेक्टर के अनुमोनद से नियम अनुसार व्यय करने हेतु अधिकृत किया जाता है। व्यय उपरांत उपयोगिता प्रमाण पत्र परीक्षा की समाप्ति के उपरांत उपलब्ध करवाना होगा। परीक्षा संचालन को दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति आश्यकता के अनुसार संवेदन एवं अतिसंवेदनशील में मंडल को अवगत करवाते हुए वृद्धि कर सकते हैं।
शिक्षकों को योद्धा दर्जा भी जरूरी
इधर परीक्षा कार्य में लगे शिक्षकों के साथ अगर कोई अनहोनी घटित होती है तो उन्हें योद्धा दर्जा देने की मांग उठी है। मप्र शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री क्षेत्रवीर सिंह राठौर का कहना है कि परीक्षाओं के दौरान पूर्व में भी शिक्षकों के साथ अनेक प्रकार की मारपीट की घटनाएं हुई हैं। यह समय कोरोना का भी है। इस कारण अगर यह जोखिमपूर्ण कार्य करते हुए अगर कोई शिक्षक दिवंगत होता है तो उसे योद्धा का दर्जा मिलना चाहिए।
शासकीय अध्यापक संघ के कार्यवाहक अध्यक्ष उपेन्द्र कौशल का कहना है कि शिक्षकों के बीमा सहित अन्य व्यवस्थाएं तो मंडल प्रतिवर्ष करता है। हां अगर किसी शिक्षक के साथ अनहोनी होती है तो उसे योद्धा दर्जा जरूर मिलना चाहिए।
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