कोरोना की वजह से बीते दो साल से पटरी पर उतरी शैक्षणिक व्यवस्था को देखते हुए शिक्षा विभाग ने इस बार छात्रों की परीक्षा की तैयारी के लिए प्रश्न बैंक उपलब्ध कराए। यह दावा किया जा रहा था कि यदि इससे छात्रों ने तैयारी कर ली तो वे अच्छे अंकों से सफल हो जाएंगे। लेकिन जब परीक्षा शुरू हुई तो पेपर में दस फीसदी भी प्रश्न इससे नहीं आ रहे हैं। अकेले रीवा जिले में प्रश्न बैंक की छपाई में दस लाख से ज्यादा का खर्च हुआ है। इसके बाद भी छात्रों का इससे कोई भला नहीं हुआ। शिक्षकों ने प्रश्न बैंक से कराई तैयारी:- आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा तैयार कराए गए प्रश्न बैंकों से छात्रों की तैयारी को लेकर लगातार दिशा-निर्देश दिए जा रहे थे।
शिक्षकों से बार-बार यह कहा गया कि प्रश्न बैंकों से तैयारी कराएं। प्रदेश के सभी जिलों में प्रश्न बैंक छपवाकर छात्रों को परीक्षा से पहले बांटे गए। ज्यादातर छात्र पूरी तरह से प्रश्न बैंक पर ही निर्भर हो गए। लेकिन जब पेपर हाथ में आया तो पैरों तले से जमीन खिसकने लगी। छपाई में हुए पचास लाख खर्च, दस फीसदी भी नहीं आ रहे प्रश्न नगर संवाददाता। मुश्किल से दो-तीन प्रश्न:- हायर सेकंडरी के परीक्षार्थी सुमित सिंह ने कहा है कि कोरोना की वजह सही तरीके से नहीं हो पाई। इस बार बोर्ड की परीक्षाएं भी जल्दी शुरू हो गईं। जो प्रश्न बैंक तैयारी के लिए दिए गए, उनसे सिर्फ दो तीन प्रश्न ही पेपर में आ रहे हैं। साक्षी शुक्ला ने कहा कि स्कूल में बताया गया था कि प्रश्न बैंक से तैयारी करें लेकिन जब पेपर शुरू हुए तो निराशा हाथ लगी। अब तक जो पेपर हुए हैं, उसमें दस फीसदी प्रश्न भी इससे नहीं आए।
विद्यार्थियों के साथ धोखा:- मप्र शिक्षक कांग्रेस के प्रांतीय उपाध्यक्ष आबाद खान ने कहा कि प्रश्न बैंक के नाम पर विद्यार्थियों के साथ धोखा हो रहा है। छात्र पूरी तरह से प्रश्न बैंक पर निर्भर हो गए थे। पेपर में इससे पर्याप्त प्रश्न न आने से विद्यार्थी परेशान है। इससे परिणाम प्रभावित हो सकता है। बोर्ड परीक्षा में 60 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी:- माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षा में रीवा जिले में 60 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी हैं। इनमें हायर सेकेंडरी के दर्ज 22984 और हाई स्कूल के 37284 परीक्षार्थी है। प्रश्न बैंक पर जो छात्र पूरी तरह निर्भर रहे हैं, वे तनाव में आ गए हैं। वे यह सोंच रहे है कि परिणाम कैसा रहेगा।
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पाच मार्च से 51 जिलों में शुरू होगा उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन:-
फरवरी में जितने प्रश्न पत्रों की परीक्षा हो चुकी है उनका मूल्यांकन मौजूदा सप्ताह से प्रारंभ होगा। इसके लिए माध्यमिक शिक्षामंडल ने समस्त तैयारियां कर ली हैं। कलेक्टरों से भी संवाद किया जा रहा है। ताकि कोई समस्या हो तो उसका तत्काल समाधान किया जा सके। माध्यमिक शिक्षा मंडल का कहना है कि प्रदेश में 52 जिले है। लेकिन 51 में मूल्यांकन कराया जाएगा। नये जिले निवाड़ी में उत्तर पुस्तिकाएं नहीं जांची जाएंगी। मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मुकेश कुमार मालवीय का कहना है कि निवाड़ी का मुल्यांकन टीकमगढ समन्वय केन्द्र पर होगा। श्री मालवाय का कहना है कि हर जिले में पव का तरह समन्वय संस्थाओं पर दसवीं एवं बारहवीं की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन होगा। उन्होंने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी मूल्यांकन के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाएंगे।
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उन्होंने बताया कि मूल्यांकन केन्द्रों पर समस्त सुविधाएं रहेंगी। मूल्यांकन के दौरान किसी भी टीचर को मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होगी। राज्य मुख्यालय से भी हर दिन मूल्यांकन की सतत निगरानी की जाएगी। केन्द्रों पर फिर शीतल पेय की मांग:– एक बार फिर मूल्यांकन से पूर्व केन्द्रों पर शीतल पेय की मांग उठी है। मप्र शिक्षक संघ के प्रांतीय सचिव राजीव शर्मा का कहना है कि गर्मी शुरू हो चुकी है। इस कारण लस्सी एवं मठा की व्यवस्था होना चाहिए, ताकि शिक्षकों को भीषण गर्मी में काम करते हुए राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी शिक्षकों की मांग पर मंडल द्वारा यह व्यवस्था की गई है। नतीजतन इस बार भी यही व्यवस्था होना चाहिए।
कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान 7 से:-
पाठशाला त्यागी बालिकाओं को पुनः अपनी शिक्षा नियमित करने के उद्देश्य से महिला बाल विकास विभाग द्वारा 7 मार्च से कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान प्रारंभ किया जा रहा है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के लिए अभियान का मुख्य उद्देश्य 11 से 14 वर्ष की शाला त्यागी बालिकाओं को पहचान कर उनको स्कूलों में पुनः प्रवेश सुनिश्चित कराना है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में शुरू किए गए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का सम्पूर्ण लक्ष्य बालिका के जन्म का उत्सव मनाना और उनको शिक्षित कर सक्षम बनाना है। महिला बाल विकास विभाग द्वारा प्रतिवर्ष अप्रैल माह में आंगनवाड़ी केंद्रों का सर्वे कराया जाता है। इसमें 11 से 14 वर्ष की ऐसी किशोरियों की जानकारी एकत्र की जाती है, जिन्होंने स्कूल छोड़ दिया है, शाला में एडमिशन नहीं लिया है या एक बार एडमिशन तो लिया है परंतु शाला नहीं जा रही या कुछ समय जाकर शाला जाना बंद कर दिया है। ऐसी हितग्राही बालिकाओं को टेक होम राशन दिया जाता है।
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