प्रताप अवधेश सिंह विश्वविद्यालय द्वारा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सभी शिक्षा केन्द्रों को निर्देश जारी कर कहा है कि समय पर अंक फीडिंग कराएं जिससे शैक्षणिक कैलेण्डर के अनुसार परीक्षा परिणाम घोषित किए जा सकें। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी शैक्षणिक कैलेण्डर के अनुसार परीक्षाफल जारी करने के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। विश्वविद्यालय ने मूल्यांकन केन्द्रों को कहा है कि वह समय पर अंकों की फीडिंग कराना सुनिश्चित करें। गौरतलब है कि दिसम्बर 2021 की सेमेस्टर परीक्षाएं पहले ही पूरी की जा चुकी हैं किन्तु अब तक विश्वविद्यालय कुछ पाठ्यक्रमों के परीक्षा परिणाम ही घोषित कर पाया है। अधिकांश परीक्षा परिणाम अभी तक घोषित नहीं हो पाए हैं। वहीं उच्च शिक्षा की ओर से जारी किए गए आदेश के पालन पर विश्वविद्यालय ने मूल्यांकन केन्द्रों में अंक फीड करने की कवायद को तेज कर दिया है।
विश्वविद्यालय डेड लाइन समाप्त होने से पहले हर हाल में अंकों की फीडिंग कराने के लिए प्रयासरत है जिससे विश्वविद्यालय की किरकिरी को रोका जा सके। तो वहीं परीक्षा परिणाम तैयार कर समय पर पाठ्यक्रमों के परीक्षा परिणामों को घोषित किया जा सके। इन पर मूल्यांकन और फीडिंग की जवाबदेही-विद्यार्थियों को परीक्षा परिणाम दिए जा सकें इसका ध्यान रखते हुए विश्वविद्यालय ने लीड कॉलेजों को इसकी जवाबदारी सौंपी है। जिसके तहत विश्वविद्यालय क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सभी सातों जिलों के लीड कॉलेजों को मूल्यांकन केन्द्र बनाया गया है। वहीं प्राप्तांक को ऑनलाइन फीडिंग भी करनी है। विश्वविद्यालय को सिर्फ प्राप्त होने वाले अंकों का एकत्र कर परीक्षाफल घोषित करना है।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय के परीक्षाफल विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे जिम्मेदारों का कहना है कि शीघ्र परिणाम घोषित करने के उद्देश्य से इस बार बेहतर व्यवस्था बनाई गई है। इसके लिए सभी आवश्यक सुविधाएं भी लीड कॉलेजों को उपलब्ध कराई गई हैं। ऐसे में उन्हें लीड कॉलेजों के माध्यम से भेजे जाने वाले अंकों का इंतजार है जिससे समय पर परीक्षा परिणाम घोषित किए जा सकें। उल्लेखनीय है कि समय पर परीक्षा परिणाम घोषित नहीं हो पाने की वजह से विश्वविद्यालयीन छात्र-छात्राओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जहां एक ओर सेमेस्टर की तैयारी पूर्ण नहीं हो पाती है तो दूसरी ओर बेहतर शिक्षा भी नहीं हो पाती है। यही नहीं छात्रों का परिणाम समय पर नहीं आने की वजह से छात्र नोट्स भी तैयार नहीं कर पाते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि सेमेस्टर परीक्षाओं में उनकी तैयारी पूर्ण नहीं हो पाती है। जिसके चलते परीक्षा परिणाम पर भी असर पड़ता है। हालांकि इस बार विश्वविद्यालय प्रबंधन समय पर परीक्षा परिणाम घोषित करने के प्रयास में जुटा है।
कक्षा 9वीं से 12वीं तक के शाला त्यागी बच्चों को कक्षा 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा दिलाने का अवसर:-
सीधी। जिला शिक्षा अधिकारी ने जानकारी देकर बताया है कि ऐसे विद्यार्थी जो कक्षा 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण किये बगैर शाला त्यागी हो चुके हैं, ऐसे सभी विद्यार्थियों को आ लौट चले योजनान्तर्गत राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड भोपाल के द्वारा कक्षा 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित कराने हेतु विद्यार्थियों के चिन्हांकन एवं उन्हें अभिप्रेरित किया जाना है। प्रदेश के लाख शासकीय डेल्श इसके लिए शासकीय शाला से शाला त्यागी हुये विद्यार्थियों के पंजीयन एम.पी. ऑनलाइन के माध्यम से किया जाना है।
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राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त होगा। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा समस्त प्राचार्यों को निर्देश दिये गये हैं कि विगत 3 वर्षों में शासकीय शाला से शाला त्यागी हुए विद्यार्थियों को पंजियन 24.03.2022 तक कराना सुनिश्चित करें। आवेदन भरने की प्रक्रिया 24.02.2022 से आरम्भ हो चुकी है। कक्षा 10वीं की परीक्षा के लिए ऐसे छात्र पात्र होंगे जिन्होंने माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं बोर्ड परीक्षा अनुत्तीर्ण हुये हो अथवा कक्षा 9वीं में प्रवेश लेने के उपरांत शाला त्यागी हो गये हो। ऐसे सभी विद्यार्थियों के पास माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल का नामांकन क्रमांक आवंटित होना आवश्यक है।
होली पर्व पर भी कर्मचारी आठ माह से वेतन पाने को मोहताज:-
आदिवासी विभाग के अधीन अनेक जिलों में स्थाई और दैवेभो कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पाया है। पहले दीवाली पर्व मनाने से यह कर्मी वंचित अब होली पर्व पर भी इनके परिवारों में निराशा है। आठ माह आयुक्त ने ब से इन्हें वेतन उपलब्ध नहीं कराया गया अभाव, कर्मी है। इस मामले में विभाग आयुक्त ने तर्क दिया है कि बजट नहीं आ पाया है। मध्य को कैसे मि प्रदेश स्थाई कर्मी कल्याण समिति प्रांत अध्यक्ष शारदा सिंह परिहार ने बताया कि आदिवासी विकास विभाग में कार्यरत स्थाई कर्मी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को विगत 8 माह से वेतन भुगतान नहीं किया गया है। वेतन भुगतान न होने से स्थाई कर्मी अपने परिवार का भरण पोषण करने में असमर्थ हो रहा है। उनके बच्चे अनेक दिक्कतों से जूझ रहे हैं।
पहले दीवाली जैसे त्यौहार में वेतन भुगतान नहीं हुआ। अब शासन के स्पष्ट निर्देश होने के बावजूद भी होली जैसे पर्व पर कर्मचारियों के परिवारों में नीरसता का माहौल है। विगत 8 माह से वेतन न मिलने के कारण होली का त्योहार ताया बजट का मनाना तो दूर रहा। इनके परिवारों में बोले अफसरों रोटी के लाले पड़ रहे हैं। मल रहा वेतन ऐसी स्थिति से संगठन द्वारा आदिवासी विकास विभाग के आयुक्त को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन बजट अभाव बताकर समस्या को नजर अंदाज कर दिया गया। आज स्थिति ये हो गई है कि आदिवासी विकास विभाग के स्थाई कर्मी प्रदेश के सभी जिलों में धरना आंदोलन के लिए मजबूर हो रहे हैं। वेतन न मिलने के कारण धार जिले में 21 दिन से धरना निरंतर जारी है। अलीराजपुर से एवं इंदौर स्थाई कर्मी भी धरने में भाग ले चुके हैं।
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