लोक शिक्षण संचालनालय के समग्र शिक्षा अभियान द्वारा तय की गई गाइड लाइन के मुताबिक प्राचार्यों को स्कूल स्तर पर समिति बनाकर टेबलेट खरीदी करना थी उसके मुताबिक डीईओ कार्यालय के कुछ कर्मचारियों ने जिला स्तर पर टेबलेट खरीदे और प्राचार्यों से इसके लिए पहले ही चेक ले लिए गए। पूरी खरीदी एक ही दुकान से की गई। जिले के हायर सेकंडरी स्कूलों में टेबलेट खरीदी में गड़बड़ी सामने आने के बाद शिक्षा विभाग ने सफाई दी है। डीईओ चंद्रशेखर सिसौदिया ने कहा कि खरीदे गए टेबलेट की गुणवत्ता की जांच एक समिति द्वारा कराई जाएगी। अगर यह निर्धारित स्पेसीफिकेशन के नहीं पाए गए तो उनका भुगतान रोक दिया जाएगा।
टेबलेट खरीदी में गड़बड़ी, समिति द्वारा होगी जांच
डीईओ का दावा है कि टेबलेट खरीदी में किसी प्राचार्य से कोई चेक नहीं लिया गया और उनके कार्यालय की इस मामले में कोई भूमिका नहीं थी। उनका यह भी दावा है कि अभी किसी को भुगतान नहीं हुआ, जबकि भास्कर के साथ बातचीत में कई प्राचार्यों ने स्पष्ट कहा कि उन्होंने भुगतान कर दिया है। यही नहीं एक प्राचार्य ने यह भी माना था कि उन्होंने एक शिक्षिका के माध्यम से शिक्षा विभाग को चेक पहुंचाया है।
शिक्षा विभाग की सफाई-टेबलेट निर्धारित स्पेसीफिकेशन के अनुसार न हुआ तो रोका जाएगा भुगतान

एक दुकानदार से खरीदी पर नहीं आई सफाई
एक ही दुकानदार से की गई खरीदी के संबंध में भी विभाग की ओर से कोई सफाई नहीं दी गई। डीईओ का कहना था कि इस मामले में प्राचार्य स्वतंत्र थे कि वे कहां से खरीदी करें। सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ संयोग है कि सभी ने एक ही जगह से खरीदी की। इस मामले में सवाल यह है कि एक ही दुकान से सारी खरीददारी क्यों की गई। जो प्रक्रिया तय की गई थी, उसका भी बड़े पैमाने पर उल्लंघन किया गया। ज्यादातर प्राचार्यों को तो यह भी मालूम नहीं है कि उन्हें जो टेबलेट मिला है उसका कॉन्फ़िगरेशन क्या है। मैं आरटीआई से सारे बिल भी लूंगा, जिससे पूरे मामले का खुलासा हो सके।
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स्मार्ट क्लास का ठेका भी एक ही एजेंसी को
टेबलेट खरीदी में गड़बड़ी का मुद्दा अभी शांत भी नहीं हुआ था कि स्मार्ट क्लास के लिए उपकरण खरीदी का मामला भी गरमाने लगा है। गुना के 10 हायर सेकंडरी एवं हाईस्कूलों में दो-दो क्लासरूम में स्मार्ट क्लास के उपकरण लगाए जाना है। इसका ठेका भी एक ही एजेंसी को दिए जाने का विवाद है। इसकी प्रक्रिया भी वही है जो टेबलेट खरीदी की थी। इसमें भी स्कूल की समिति को ही निर्णय लेना था।
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