इंदौर में स्कूल और कॉलेज वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर परिवहन विभाग द्वारा सख्त चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत नियमों का पालन न करने वाले वाहनों पर कार्रवाई की जा रही है। हाल ही में आरटीओ प्रदीप शर्मा और आरटीओ अर्चना मिश्रा की टीम ने स्कूल बसों की आकस्मिक चेकिंग की, जिसमें कई बसों में कमियाँ पाई गईं और उन पर जुर्माना लगाया गया। इस लेख में हम इस चेकिंग अभियान की महत्वपूर्ण जानकारी और इसके परिणामों पर चर्चा करेंगे।
इंदौर में स्कूल और कॉलेज बसों की चेकिंग
इंदौर शहर की सड़कें इस समय प्रशासन की कड़ी निगरानी में हैं। कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर परिवहन विभाग द्वारा स्कूल और कॉलेज के वाहनों की सतत चेकिंग की जा रही है। यह अभियान न केवल विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी है कि सभी वाहन निर्धारित नियमों और दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करें। नियमों का पालन नहीं करने वाले बसों पर कार्रवाई की जा रही है, जिससे स्पष्ट होता है कि प्रशासन इस मामले में कोई भी ढील नहीं देने वाला है।
अभिभावकों के मन में भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंता रहती है। जब उन्हें पता चलता है कि प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं और चेकिंग का अभियान चलाया जा रहा है, तो वे राहत महसूस करते हैं। बच्चों की सुरक्षा के प्रति प्रशासन की यह सख्ती अभिभावकों के मन में विश्वास पैदा करती है कि उनके बच्चे सुरक्षित हाथों में हैं।
तीन दिन पहले, RTO प्रदीप शर्मा और एआरटीओ अर्चना मिश्रा ने टीम के साथ स्कूल बसों की जांच की। इस दौरान, उन्होंने स्कूल प्रबंधन और बस चालकों को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के पालन के सख्त निर्देश दिए। यह देखा गया कि कुछ बसें इन नियमों का पालन नहीं कर रही थीं, जिससे बच्चों की सुरक्षा को खतरा हो सकता था।
बसों पर की गई कार्रवाई
जांच के दौरान 7 बसों में कमियाँ पाई गईं और उनके फिटनेस प्रमाणपत्र निरस्त किए गए। इसके अलावा, तीन बसों को परमिट नहीं होने तथा परमिट शर्तों का उल्लंघन करते पाए जाने पर जप्त किया गया। ओवरलोड संचालित हो रही 10 बसों के विरुद्ध चालानी कार्रवाई करते हुए उनसे 30 हजार रुपए का जुर्माना वसूला गया। यह साफ संकेत है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
3 दिन पूर्व ही RTO कार्यालय में सभी स्कूल और कॉलेज के परिवहन प्रबंधकों की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में उन्हें स्पष्ट रूप से बताया गया था कि नियमों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य है। अधिकारियों ने कहा कि चेकिंग की कार्रवाई लगातार जारी रहेगी और किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन क्या है?
- सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल बसों के लिए कुछ अनिवार्य गाइडलाइंस जारी की हैं।
- गाइडलाइंस में बच्चों के बैठने के लिए सीट बेल्ट की व्यवस्था अनिवार्य है।
- बस के अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाना जरूरी है।
- बस के ड्राइवर की नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना अनिवार्य है।
- बस के भीतर फर्स्ट एड बॉक्स रखना आवश्यक है।
- इन गाइडलाइंस का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है।
इसके साथ, स्कूल की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने वाहनों की नियमित जांच कराएं और सुनिश्चित करें कि सभी नियमों का पालन हो रहा है। बसों के ड्राइवरों को नियमित रूप से प्रशिक्षित करना चाहिए और उन्हें सुरक्षा के सभी उपायों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि सभी ड्राइवरों का बैकग्राउंड चेक किया गया हो और वे सभी आवश्यक लाइसेंस और प्रमाण पत्र प्राप्त किए हों।