बड़ी मन्नतौ के बाद भी नहीं बन पा रहा है शासकीय महिला विश्वविद्यालय-
रीवा : अपने भविष्य को आगे सवारने एवं उच्च शिक्षा की पढ़ाई का सपना संजोए छात्राएं अब काफी निराश नजर आ रही है, क्योंकि जितनी तेजी से महिला सरकारी विश्वविद्यालय की मांग रही थी ठीक उतनी ही तेजी से अब धीमी भी पड़ती जा रही है। इससे ऐसा लगता है कि अब छात्राओं का सपना अधूरा ही रह जाएगा। रीवा जिले में महाविद्यालयों मे छात्रों की तुलना में 2860 अधिक छात्राएं हैं, ऐसे में महिला महाविद्यालय की संख्या कम होने से छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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खासकर गरीब वर्ग की छात्राएं इस बात की आशा कर रही थी कि अगर सरकारी महिला विश्वविद्यालय बनता है तो वह भी आसानी से अपनी उच्च शिक्षा को पूरी कर सकेगी एवं अपने सपनों को साकार कर सकेंगी।

काफी समय से उठ रही थी मांग-
रीवा जिले में महिला विश्वविद्यालय बनाने की मांग काफी समय से उठ रही थी, जिससे लोगों में एक खास उम्मीदें पनप रही थी। लेकिन हाल में ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है। डेढ़ साल पहले कांग्रेस की सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री ने नवीन कन्या महाविद्यालय खोलने की घोषणा की थी। जो शायद सरकार बदलने के बाद पूरी नहीं हो सकी। वैसे तो जिले में सरकारी महाविद्यालयों की संख्या 16 है, लेकिन इनमें छात्रों की संख्या 13876 एवं छात्राओं की संख्या 16736 है जो छात्रों की अपेक्षा काफी अधिक है।
इंदौर : रानी दुर्गावति विश्वविद्यालय ने दिसम्बर में परीक्षा कराने का दावा किया था, लेकिन आज स्थित यह है कि यह भी तय नहीं की परीक्षाएं किस पद्धति से होंगी। एक तरफ छात्र संगठन ओपन बुक या ऑनलाइन एग्जाम की मांग कर रहे हैं, दूसरी तरफ उच्च शिक्षा विभाग ऑफलाइन परीक्षा कराने के संकेत दे रहा है, इस सबके बीच में विश्वविद्यालय में परीक्षा किस पद्धति से हो इस पर मंथन जारी है, विश्वविद्यालय ने इसके लिए कमेटी गठित की है, जो तीन चार दिन में अपनी रिपोर्ट कुलपति को प्रस्तुत करेगी, जिसके बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा।
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