प्रदेश के सरकारी और मान्यता प्राप्त स्कूलों सहित काॅलेज में पढ़ने वाले पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थियों को पिछले तीन साल से छात्रवृत्ति का इंतजार करना पड़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार अकेले पोस्ट मैट्रिक के करीब 8 लाख छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति के लिए शासन से बार-बार बजट की मांग करनी पड़ रही है। वहीं, बजट के अभाव में इस साल छात्रवृत्ति पोर्टल शुरू ही नहीं हुआ है।
पोस्ट मेट्रिक करने वाले ओबीसी के 8 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति का इंतजार
अकेले पोस्ट मैट्रिक करने वाले करीब 6 लाख विद्यार्थी हर साल करीब 6 लाख विद्यार्थी हर साल छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करते हैं। इनमें लगभग 5 लाख को छात्रवृत्ति मंजूर होती है। लेकिन, पिछले तीन साल से राशि उपलब्ध कराने का गणित गड़बड़ाया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने माना है कि वर्ष 2019-20 मे 26,402 विद्यार्थियों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति नहीं मिली है। जबकि वर्ष 2020-21 में यह संख्या बढ़कर 3,87,124 हो गई है। कक्षा 11वीं और 12वीं तक के ओबीसी विद्यार्थियों को भी समय पर छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है। विभाग के अनुसार वर्ष 2020-21 में 4,85,708 विद्यार्थियों के लिए 515 करोड़ 13 लाख से अधिक की राशि मंजूर की गई थी। इनमें से 3 लाख 53 हजार 841 को वजीफा दिया गया जबकि 1,37,867 विद्यार्थी कतार में है।
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सीएम हेल्प लाइन में हो चुकी हैं 43 हजार शिकायतें: छात्रवृत्ति नहीं मिलने की शिकायतें सीमए हेल्पलाइन में लगातार की जा रही है। अकेले 19 माह में 43,566 शिकायतें भेजी गई है। इनमें 37,150 प्रकरणों में निराकरण करने का दावा किया गया है। अभी भी 6,416 शिकायतों का निराकरण होना शेष है। इसका बड़ा कारण बजट अभाग होना बताया जा रहा है।
पिछड़ा वर्ग विभाग ने मांगे सरकार से 1200 करोड़, बजट भी घटा

पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति बकाया
वर्ष | विद्यार्थी संख्या |
2019-20 | 26,402 |
2020-21 | 3,87,124 |
2021-22 | छात्रवृत्ति पोर्टल नहीं खुला |
तीन साल का बजट प्रावधान
वर्ष | प्रावधान (करोड़ में ) |
2019-20 | 591.76 |
2020-21 | 631.40 |
2021-22 | 419.00 |
अनुपूरक बजट में 100 करोड़ का प्रावधान
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने वित विभाग से छात्रवृत्ति के नाम पर 1200 करोड़ रूप्ये की डिमांड की है। इधर, द्वितीय अनुपूरक अनुमान में महज 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
बजट में भी की गई 200 करोड़ की कटौती
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के बजट में भी कटौती की गई है। इससे विद्यार्थियों को समय पर छात्रवृत्ति देने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एक साल में ही 200 करोड़ बजट की कटौती की गई है।
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छात्रवृत्ति के लिए शासन से 1200 करोड़ की डिमांड की है
पोस्ट मैट्रिक विद्यार्थियों की बकाया छात्रवृत्ति देने के लिए वित विभाग को 1200 करोड़ रूप्ये उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भेजा है। द्वितीय अनुपूरक अनुमान में 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस राशि से दो ाल की बकाया छात्रवृत्ति दी जाएगी। शेष राशि की डिमांड नए साल के बजट में करेंगे।
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